
ग्वालियर: मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बिशप निवास परिसर में धर्मांतरण की आशंका की सूचना पर प्रशासन और पुलिस की टीम ने बुधवार को छापा मारा। बड़ागांव क्षेत्र स्थित ईसाई सेंटर से 26 बच्चे पाए गए, जो अलग-अलग राज्यों से आकर धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। सूचना मिलते ही विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी के नेता मौके पर पहुंच गए और धर्मांतरण की आशंका जताई। हालांकि जांच के बाद ईसाई संगठन ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
जानकारी के मुताबिक, बिशप निवास परिसर में चल रहे इस सेंटर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और केरल से आए बच्चे रहकर अध्ययन कर रहे थे। ये सभी बच्चे धार्मिक और आध्यात्मिक प्रशिक्षण ले रहे थे। सेंटर का संचालन एक मिशनरी संगठन द्वारा किया जा रहा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन, पुलिस और इंटेलिजेंस विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं और बच्चों से पूछताछ की। साथ ही प्रबंधन से भी दस्तावेज और गतिविधियों की जानकारी ली गई।
सेंटर से जुड़े प्रबंधन प्रतिनिधि डेनियल फ्रांसिस ने कहा कि “यहां केवल कैथलिक और क्रिश्चियन समुदाय के बच्चे ही पढ़ रहे हैं, जो अपने माता-पिता की अनुमति से आए हैं। हमारा उद्देश्य उन्हें धार्मिक शिक्षक (रिलिजियस इंस्ट्रक्टर) बनाना है, जैसे हिंदू धर्म में पुजारी या मुस्लिम समाज में मौलाना तैयार किए जाते हैं। यहां किसी भी तरह का धर्मांतरण नहीं किया जा रहा है।”
वहीं, एसडीएम नरेश गुप्ता ने बताया कि “हमें सूचना मिली थी कि बिशप निवास परिसर में धर्मांतरण की कोशिश हो रही है। मौके पर जाकर जांच की गई है, फिलहाल कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, लेकिन मामले की गहन जांच जारी है। सत्यापन के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
गौरतलब है कि कुछ माह पहले ग्वालियर के डबरा क्षेत्र में भी इसी तरह के धर्मांतरण से जुड़ा मामला सामने आया था। ऐसे में इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक शिक्षा के नाम पर चल रही गतिविधियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद ने प्रशासन से कठोर कार्रवाई की मांग की है। विहिप के प्रांतीय नेता पप्पू वर्मा ने चेतावनी दी है कि “यदि प्रशासन ने इस तरह की गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई, तो विहिप प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी।”