Thursday, November 6

किसानों को 10 घंटे से ज्यादा बिजली दी तो वेतन काटने का आदेश रद्द, सीएम मोहन यादव ने दिखाए सख्त तेवर – चीफ इंजीनियर पद से हटाए गए

भोपाल: मध्यप्रदेश में किसानों से जुड़ा एक विवादित आदेश सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गया। बिजली विभाग द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया था कि अगर किसानों को 10 घंटे से अधिक बिजली सप्लाई दी गई, तो संबंधित फीडर ऑपरेटर और अधिकारियों की सैलरी काटी जाएगी। आदेश सामने आते ही मामला तूल पकड़ गया।

किसानों और विपक्ष की नाराज़गी के बीच मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस आदेश को तुरंत रद्द करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा – “अन्नदाता का हित हमारे लिए सर्वोपरि है। प्रदेश सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें हर हाल में 10 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति दी जाएगी।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस आदेश से जनसामान्य में गलतफहमी फैली थी, इसलिए इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया गया है। साथ ही, आदेश जारी करने में लापरवाही बरतने वाले चीफ इंजीनियर को पद से हटा दिया गया है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस मामले में अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर भी विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।

क्या था विवादित आदेश?

3 नवंबर को बिजली विभाग के महाप्रबंधक ए.के. जैन के हस्ताक्षर से एक पत्र जारी किया गया था। इसमें निर्देश दिया गया था कि यदि कृषि फीडरों पर किसी दिन 10 घंटे से अधिक बिजली दी गई तो –

  • ऑपरेटर का एक दिन का वेतन काटा जाएगा,
  • दो दिन लगातार ऐसा होने पर जेई की सैलरी,
  • पांच दिन पर डीजीएम,
  • और सात दिन तक गलती दोहराने पर जीएम पर कार्रवाई की जाएगी।

इस आदेश से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया और किसान संगठनों ने इसे “अन्नदाताओं के साथ अन्याय” बताया।

सीएम मोहन यादव के हस्तक्षेप के बाद अब विवादित सर्कुलर रद्द कर दिया गया है और जिम्मेदार अधिकारी को पद से हटा दिया गया है। सरकार ने दोहराया है कि किसानों को पर्याप्त बिजली देना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस दिशा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

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