
इंदौर। कुटुंब न्यायालय ने एक पति की तलाक की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने अपनी पत्नी पर क्रूरता और बीमारी छिपाने का आरोप लगाया था। अदालत ने पाया कि असल में पति ही पत्नी और बच्चों को छोड़कर गया था और तलाक के झूठे आधार पर न्याय नहीं दिया जा सकता।
2011 में हुई थी प्रेम विवाह
यह मामला इंदौर निवासी एक मोबाइल सर्विस सेंटर संचालक और उसकी डॉक्टर पत्नी का है। दोनों ने जनवरी 2011 में प्रेम विवाह किया और इसके बाद पत्नी ने संतान को जन्म दिया। याचिका में पति ने आरोप लगाया कि शादी के बाद पत्नी और उसके परिवार ने उसे प्रताड़ित किया।
2017 में परिवार छोड़ गया पति
पीड़िता कुछ समय बाद अलग मकान लेकर रहने लगी। लेकिन पति 2017 में इंदौर छोड़कर चला गया और बाद में शहर में अन्य महिलाओं से संपर्क बनाने लगा। 2020 में उसने पत्नी पर क्रूरता और बीमारी छुपाने जैसे आरोप लगाकर तलाक की अर्जी दाखिल कर दी।
टैटू ने खोला पति का झूठ
सुनवाई के दौरान पत्नी के वकीलों ने फोटो और अन्य साक्ष्य कोर्ट में पेश किए। महिला जज ने पति से उसके हाथ पर बने टैटू को दिखाने के लिए कहा, जिसे पति बार-बार छुपाने की कोशिश कर रहा था। वकीलों ने इसे पति की चालाकी बताया। अदालत ने माना कि पति ही झूठ बोलकर अपनी याचिका के माध्यम से लाभ लेना चाहता था।
कोर्ट ने किया आदेश
कुटुंब न्यायालय ने पति की याचिका पूरी तरह खारिज कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि पत्नी ने कोई क्रूरता नहीं की और पति का दावा निराधार है। पीड़िता के वकीलों ने कहा कि न्यायालय ने सभी साक्ष्यों की जांच कर साबित कर दिया कि पति की याचिका दुर्भावनापूर्ण और मनगढ़ंत थी।