Monday, November 10

महागठबंधन को चुनावी झटका: पूर्व RJD विधायक सुरेश मेहता भाजपा में शामिल, कुशवाहा वोटों की रणनीतिक कटौती

औरंगाबाद: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सत्ता की रेस में जुटे महागठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है। कुशवाहा समुदाय के प्रभावशाली नेता और पूर्व विधायक सुरेश मेहता ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बुधवार को प्रेस वार्ता में भाजपा ज्वॉइन करने की घोषणा की।

🔹 सुरेश मेहता ने क्यों छोड़ी RJD

सुरेश मेहता ने बताया कि उन्हें RJD में लाने वाले उनके गुरु शकुनी चौधरी थे, जिन्होंने 2000 में उन्हें विधायक बनवाया। 2020 में औरंगाबाद जिले की सभी छह विधानसभा सीटों पर महागठबंधन की जीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। बावजूद इसके, पार्टी में लगातार उपेक्षा महसूस होने पर उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के संपर्क में आने के बाद उन्हें औरंगाबाद विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी त्रिविक्रम नारायण सिंह को जीत दिलाने की जिम्मेदारी दी गई, जिसके साथ उन्होंने भाजपा में प्रवेश किया।

🔹 औरंगाबाद विधानसभा में सुरेश मेहता फैक्टर

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सुरेश मेहता का औरंगाबाद विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा समुदाय के साथ-साथ पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों पर भी अच्छा प्रभाव है। भाजपा ने उनका स्वागत करके अभय कुशवाहा के प्रभाव को कम करने और कुशवाहा वोट बैंक पर पकड़ बनाने की रणनीति अपनाई है।

इस कदम से भाजपा के लिए महागठबंधन समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी की राह में राजनीतिक रोड़े अटकने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, यह रणनीति कितनी सफल होगी, यह चुनाव परिणामों पर निर्भर करेगा।

🔹 राजनीतिक विश्लेषकों की राय

सुरेश मेहता के भाजपा में आने से औरंगाबाद में चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। कुशवाहा और पिछड़ी जातियों में उनके प्रभाव को देखते हुए, यह कदम महागठबंधन के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। वहीं, भाजपा के लिए यह एक सशक्त वोट बैंक जोड़ने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

निष्कर्ष:
पूर्व RJD विधायक सुरेश मेहता का भाजपा में शामिल होना महागठबंधन के लिए चुनावी झटका है और कुशवाहा वोटों के लिए भाजपा का बड़ा दांव माना जा रहा है। चुनावी जंग में यह कदम राजनीतिक समीकरणों को नया रूप देने वाला साबित हो सकता है।

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