Monday, December 1

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव में कोई बाधा नहीं, चीफ जस्टिस सूर्यकांत का स्पष्ट निर्देश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के परिसीमन प्रक्रिया की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि राज्य में 2022 से रुके हुए चुनावों में अब किसी भी तरह की बाधा नहीं आने दी जाएगी।

याचिकाकर्ता निखिल के. कोलेकर ने राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अंतिम परिसीमन प्रस्तावों को मंजूरी देने का अधिकार डिविजनल कमीश्नर को सौंपने को चुनौती दी थी। वरिष्ठ अधिवक्ता सुधांशु चौधरी ने तर्क दिया कि निर्वाचन क्षेत्रों के विभाजन की मंजूरी का अधिकार केवल राज्य निर्वाचन आयोग के पास है, और इसे अन्य अधिकारियों को सौंपना संवैधानिक जिम्मेदारी से हटना है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार किया और कहा कि वे किसी भी ऐसी याचिका पर विचार नहीं करेंगे जो चुनावों में देरी कर सकती हो। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि यह चुनाव टालने का एक तरीका प्रतीत होता है और अब चुनाव कराने में कोई अतिरिक्त बाधा नहीं हो सकती।

मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव चार महीने के भीतर कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि ओबीसी आरक्षण को बंथिया आयोग की रिपोर्ट से पहले लागू कानून के अनुसार बहाल किया जाए। पिछले सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि वह लंबित चुनावों की अधिसूचना जारी करे, बशर्ते कि आरक्षण 50% से अधिक न हो और जहां अधिसूचना पहले ही जारी हो चुकी है, वहां भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो।

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