
नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मामले ने फिर से राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की। कांग्रेस ने इस कदम को लेकर कड़ा विरोध जताया है।
एआईसीसी के लॉ, ह्यूमन राइट्स और आरटीआई विभाग के चेयरमैन अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था, बढ़ती बेरोजगारी और असफल विदेश नीति से ध्यान हटाने के लिए नेशनल हेराल्ड मामले को हवा दे रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ईडी और भाजपा को “नोबेल पुरस्कार” मिलना चाहिए कि कैसे बिना अपराध के मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाया जा सकता है।
सिंघवी ने बताया कि नेशनल हेराल्ड की पैरेंट कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) एक पुरानी और आदर्शों पर आधारित कंपनी है। कांग्रेस ने समय-समय पर एजेएल को वित्तीय मदद दी, जो कुल 90 करोड़ रुपए तक पहुँची। कंपनी को कर्ज मुक्त और मजबूत बनाने के लिए एजेएल का कर्ज यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया, जिसके बदले में एजेएल के शेयर यंग इंडियन के पास चले गए।
सिंघवी ने स्पष्ट किया कि इस पूरे प्रक्रिया में न तो कोई पैसा ट्रांसफर हुआ और न ही कोई संपत्ति गई। यंग इंडियन की डायरेक्टर्स में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य शामिल हैं, और यह कंपनी नॉन-प्रॉफिट है।
सरकार का दावा है कि एजेएल की 99 फीसदी हिस्सेदारी यंग इंडियन के पास जाने से मनी लॉन्ड्रिंग हुई। इसे सिंघवी ने “विचित्र और अद्भुत” करार दिया। उन्होंने बताया कि पहले से ही चार्जशीट राऊज एवेन्यू के स्पेशल कोर्ट में लंबित है।
सिंघवी ने आरोप लगाया कि नई एफआईआर सिर्फ इस कानूनी कमी को पूरा करने के लिए दर्ज की गई है। उनका कहना है कि न कोई पैसे का ट्रांसफर हुआ, न धोखाधड़ी हुई, न लाभ कमाया गया, फिर भी सरकार इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बना रही है।