
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को दो टूक चेतावनी दी और कहा कि सत्र में “ड्रामा नहीं, डिलीवरी” होनी चाहिए। पीएम मोदी ने विपक्ष से आग्रह किया कि वे पराजय की बौखलाहट को सदन का मैदान न बनाएं और विजय के अहंकार में भी फंसें नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि कुछ दल पराजय नहीं पचा पाते और सत्र में अपने गुस्से को निकालने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा, “जो हाउस का इस्तेमाल अपनी राज्य राजनीति के लिए करते हैं, उन्हें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए। मैं उन्हें सुझाव देने के लिए तैयार हूं कि कैसे प्रभावी ढंग से प्रदर्शन किया जा सकता है।”
सत्र को लेकर पीएम मोदी की 10 प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
- ड्रामा नहीं, डिलीवरी: संसद में नारेबाजी या प्रदर्शन का समय बाहर है, यहां नीति और परिणाम पर ध्यान देना चाहिए।
- पराजय की निराशा छोड़ें: विपक्ष को अपनी हार से बौखलाहट नहीं दिखानी चाहिए।
- विजय का अहंकार नहीं: जीत का अभिमान सत्र में हावी न हो।
- सकारात्मक राजनीति: नकारात्मकता से राष्ट्र निर्माण नहीं होता, समाधान पर ध्यान दें।
- सत्ता का गुस्सा सदन में नहीं निकालें: कुछ दल अपनी हार का क्रोध सदन में दिखाते हैं, इसे रोकें।
- सत्र का उद्देश्य: देश की प्रगति, नीति निर्माण और विकास को गति देना।
- लोकतंत्र की ताकत: हाल के चुनावों में रिकॉर्ड वोटिंग लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत साबित हुई।
- आर्थिक विकास: मजबूत लोकतंत्र के साथ अर्थव्यवस्था की मजबूती दुनिया देख रही है।
- महिला भागीदारी: माताओं और बहनों की बढ़ती भागीदारी नई उम्मीद और विश्वास जगाती है।
- लोकतंत्र दे सकता है परिणाम: भारत ने साबित कर दिया कि Democracy can deliver।
प्रधानमंत्री मोदी ने सभी दलों से कहा कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करें, चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाएं और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें।