
उत्तर प्रदेश में चल रहे SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच जारी तकरार और तेज हो गई है। लखनऊ में बीएलओ (BLO) विजय कुमार वर्मा की मौत के बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि SIR के नाम पर न सिर्फ जनता पर दबाव बनाया जा रहा है, बल्कि बीएलओ तक इस मानसिक दबाव की चपेट में आ रहे हैं।
अखिलेश यादव ने शनिवार को पार्टी कार्यालय में मृतक बीएलओ के परिजनों को 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की और उनके प्रति संवेदना व्यक्त की। इस दौरान उन्होंने SIR की प्रक्रिया को लेकर बीजेपी और चुनाव आयोग की “जल्दबाजी” पर सवाल उठाए।
“SIR बहाना, वोट का अधिकार छीनने की साजिश” — अखिलेश
प्रेसवार्ता में अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि SIR को बहाना बनाकर भाजपा सरकार और चुनाव आयोग मिलकर मतदाताओं के अधिकारों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा—
“ये सोची-समझी रणनीति है। SIR जनता का वोट छीनने की योजना है। आरक्षण और पहचान दोनों पर चोट की जा रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि SIR के नाम पर बीएलओ पर अनुचित दबाव बन रहा है, जिसके कारण हाल में लखनऊ में तैनात बीएलओ विजय वर्मा को अपनी जान गंवानी पड़ी।
बीएलओ के परिवार ने लगाए गंभीर आरोप
बीएलओ विजय कुमार वर्मा की पत्नी और परिजनों ने बताया कि वह 14 नवंबर को ड्यूटी से लौटकर रात 11 बजे तक SIR से जुड़ा काम कर रहे थे, तभी अचानक कुर्सी से गिर पड़े। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ है।
परिवार का आरोप है कि कुछ अधिकारी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि विजय पहले से बीमार थे या ड्यूटी पर नहीं थे।
मृतक की पत्नी का कहना है—
“प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। उल्टा ये कहा जा रहा है कि वह कार्यमुक्त थे। अगर ऐसा था तो 14 तारीख को वह काम कैसे कर रहे थे?”
“एक करोड़ मुआवजा और नौकरी दी जाए”— अखिलेश
सपा प्रमुख ने मांग की कि सरकार इस परिवार को कम से कम 1 करोड़ रुपये का मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दे।
उन्होंने कहा कि बीएलओ की मौत ड्यूटी के दौरान हुई है और इसे छिपाने की कोशिश की जा रही है।
“SIR में इतनी जल्दी क्यों?”
अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि SIR को लेकर भाजपा और चुनाव आयोग अचानक इतनी सक्रियता क्यों दिखा रहे हैं।
उन्होंने कहा—
“ये अत्यंत संवेदनशील और तकनीकी काम है। फॉर्म एक बार खारिज हुआ तो नागरिक को महीनों कागज़ों के साथ भागना पड़ेगा। फिर ऐसी जल्दबाजी क्यों?”
सफाईकर्मी को बना दिया गया BLO सहायक
उन्होंने प्रशासन पर तंज कसते हुए कहा कि SIR के काम में तकनीकी ज्ञान की जरूरत है, लेकिन कई जगह नगरपालिका के सफाईकर्मियों को BLO सहायकों के रूप में लगा दिया गया है।
“सरकार कहती है सारे फॉर्म बांट दिए गए, जबकि हकीकत ज़मीन पर बिल्कुल अलग है।”