
पटना: बिहार की राजनीति में आरजेडी और उसके नेताओं के इर्द-गिर्द हमेशा चर्चाओं का माहौल बना रहता है। अब राबड़ी देवी के आवास को खाली कराने के नोटिस को लेकर फिर वही स्थिति बनती दिख रही है, जो कभी लालू यादव के चारा घोटाले के समय हुई थी।
सीबीआई ने लालू यादव की गिरफ्तारी के लिए उस समय सेना की मदद मांगी थी। तत्कालीन संयुक्त निदेशक उपेन विश्वास ने बताया कि जब वे पटना में जांच करने पहुंचे तो लालू यादव के समर्थक जांच को प्रभावित करने में जुटे थे। उसी तरह, अब राबड़ी देवी के पुराने बंगले को खाली कराने के नोटिस पर आरजेडी के नेता और समर्थक सरकार को दबाव बनाने में जुटे हैं।
आरजेडी समर्थकों की हरकतें पार्टी के लिए अक्सर मुश्किलें खड़ी करती रही हैं। हाल ही संपन्न विधानसभा चुनाव में भी गायकों और उनके गीतों पर उछलते समर्थकों के कारण आरजेडी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। 2010 में 22 सीटों से लेकर 2015 में 80 और 2020 में 75 सीटों तक पहुंची पार्टी, 2025 में महज 25 सीटों तक सिमट गई।
एनडीए ने इस बार बिहार चुनाव में आरजेडी पर ‘जंगल राज’ का आरोप फिर से ताना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने लालू-राबड़ी की ‘जंगल राज’ की कहानी जनता के सामने रखी। इस दौरान यादव जाति के भोजपुरी गायकों ने भाजपा के आरोपों पर आधारित गीत गाकर आरजेडी की मुश्किलें और बढ़ा दीं। अब तेजस्वी यादव ने 30 से अधिक गायकों को लीगल नोटिस भी भेजा है।
बंगला विवाद में भी आरजेडी के लिए राहत की उम्मीद कम ही नजर आती है। सरकार के फैसले को पलटना आसान नहीं है और अदालत से ही कोई राह मिल सकती है। अड़ने और जबरदस्ती करने की संस्कृति आरजेडी के लिए हमेशा नुकसानदेह रही है। लालू यादव की चारा घोटाले में गिरफ्तारी रोकने की जिद और पटना के शो रूम से गाड़ियों को उठाने की घटना इसके सबूत हैं।
निष्कर्ष: राबड़ी आवास विवाद आरजेडी के लिए चेतावनी की तरह है। अड़ने और दबाव बनाने की राजनीति बार-बार पार्टी की दुर्गति का कारण बन सकती है।