
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश को बड़ी जानकारी दी कि न्यूक्लियर सेक्टर में निजी कंपनियों के प्रवेश के लिए कानून में बदलाव किया जा रहा है। यह कदम संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने वाले परमाणु ऊर्जा से जुड़े संशोधन के तहत संभव होगा।
पीएम मोदी ने हैदराबाद में निजी अंतरिक्ष कंपनी स्काईरूट के ‘इनफिनिटी कैंपस’ उद्घाटन के दौरान कहा, “परमाणु क्षेत्र में निजी क्षेत्र की मजबूत भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, जिससे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, एडवांस्ड रिएक्टर और नई तकनीक में अवसर पैदा होंगे। यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी नेतृत्व को नई ताकत देगा।”
क्यों है यह बदलाव महत्वपूर्ण
वर्तमान में परमाणु ऊर्जा अधिनियम के तहत न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट चलाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार और उसकी कंपनियों के पास है। देश में मौजूद 24 वाणिज्यिक परमाणु रिएक्टर परमाणु ऊर्जा निगम (NPCIL) के अधीन काम करते हैं। निजी क्षेत्र को इस क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने से देश में नई तकनीक, निवेश और सस्ती व स्वच्छ ऊर्जा के अवसर बढ़ेंगे।
भारत ने 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार ने न्यूक्लियर एनर्जी एक्ट में संशोधन और 2010 की सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट (CLNDA) में बदलाव की योजना बनाई है। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बड़े सुधार और नवाचार की राह खुलेगी।
विशेषज्ञों की राय:
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों के लिए रास्ता खोला गया, वैसे ही न्यूक्लियर सेक्टर में सुधार से देश तकनीकी और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से आत्मनिर्भर बन सकेगा।