
आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कहा कि सनातन धर्म की वास्तविक शक्ति उसकी प्राचीन परंपराओं और आधुनिक विज्ञान के संतुलन में निहित है। बेंगलुरु से सटे जिगनी–हरोहल्ली रोड स्थित इंदलवाड़ी गांव में आयोजित एक विशाल सत्संग में हजारों लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रकृति संरक्षण और जीवन मूल्यों पर जोर दिया।
उन्होंने कहा,
“मॉडर्न साइंस और पुरानी संस्कृति का मेल ही सनातन धर्म की नींव है। जमीन, भाषा, मिट्टी और पानी की रक्षा करना हम सबका फर्ज है।”
योग है हर समस्या का समाधान
गुरुदेव ने बढ़ती शारीरिक और मानसिक बीमारियों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तनाव, गुस्सा और अवसाद जैसी समस्याओं का समाधान योग और मेडिटेशन के माध्यम से संभव है।
उन्होंने कहा,
“गुस्सा हमें कमजोर बनाता है। जीवन में मजबूत इरादा और संतुलन बनाने के लिए योग और मेडिटेशन जरूरी है।”
उन्होंने सभी ग्रामीणों से अपने गांवों को साफ, स्वस्थ और संस्कारित बनाने का संकल्प लेने की अपील की।
सत्संग का वास्तविक अर्थ क्या?
श्री श्री रविशंकर ने सत्संग के अर्थ को सरल शब्दों में समझाते हुए कहा कि—
- सत्संग का पहला हिस्सा है संगीत, जो मन को जोड़ता है
- दूसरा हिस्सा है ज्ञान, जो दिशा देता है
- तीसरा हिस्सा है मेडिटेशन, जो आत्मा में सुकून लाता है
सत्संग से पहले श्री श्री ने गांव के देवता श्री मरम्मा और श्री मरियम्मा मंदिर में पूजा-अर्चना की, जहां उनका स्वागत 108 पूर्ण कुंभों के साथ पारंपरिक ढंग से किया गया।
भक्ति, ध्यान और आनंद का अनुभव
मरम्मा, चौडेश्वरी और गंगम्मा मंदिरों के पवित्र वातावरण में हुए इस सत्संग में हजारों लोगों ने भक्ति गीतों के बीच गुरुदेव के मार्गदर्शन में मेडिटेशन किया। उपस्थित लोगों ने शांति, खुशी और आत्मिक आनंद का अनुभव साझा किया।
कल्लाबालू और इंदलवाड़ी पंचायतों के नेताओं ने गुरुदेव का सम्मान किया। ग्राम पंचायत सदस्य प्रसन्ना ने कहा कि गुरुदेव ग्रामीण समुदायों को मजबूत करने और युवाओं को मूल्य आधारित जीवन की ओर प्रेरित कर रहे हैं।
200 से अधिक वॉलंटियर्स का योगदान
इस विशाल आयोजन को सफल बनाने में आर्ट ऑफ लिविंग के 200 से ज्यादा वॉलंटियर्स ने कई हफ्तों तक मेहनत की। उन्होंने:
- ललिता सहस्रनाम के जाप
- अनेक धार्मिक कार्यक्रम
- 400 से अधिक लोकल सत्संग
के माध्यम से 6000 से ज्यादा ग्रामीणों को जोड़ने में सफलता पाई।
एस व्यास योग यूनिवर्सिटी के प्रमुख डॉ. एच.आर. नागेंद्र विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
गांव में हुए इस आध्यात्मिक कार्यक्रम ने न सिर्फ लोगों को एकजुट किया, बल्कि सनातन धर्म के मूल संदेश—संस्कृति, विज्ञान, योग और मानवता—को भी पुनः स्थापित किया।