Tuesday, December 2

सफलता की कहानी: प्रोफेसरी छोड़ केंचुओं में लगाया पूरा ध्यान, सिर्फ ₹500 से शुरू किया कारोबार, अब सालाना ₹30 लाख की कमाई

नई दिल्ली: लॉकडाउन ने हरियाणा के भिवानी में कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे प्रमोद सहारन की जिंदगी की दिशा बदल दी। बचपन से बागवानी के शौक ने उन्हें वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) बनाने के लिए प्रेरित किया और यह शौक धीरे-धीरे सफल व्यवसाय में बदल गया। आज प्रमोद की सालाना कमाई लगभग 30 लाख रुपये है।

सिर्फ ₹500 से शुरुआत
सिविल इंजीनियरिंग में M.Tech और प्रोफेसर रहे प्रमोद ने लॉकडाउन में अपने बचपन के शौक को दोबारा जिया। उन्होंने 500 रुपये में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) से 1 किलो केंचुए खरीदे और घर के बगीचे में उनका विकास देखा। शुरुआती असफलताओं ने उन्हें केंचुओं के मल्टीप्लिकेशन और विकास को समझने में मदद की।

नौकरी छोड़कर काम पर पूरा फोकस
प्रयोग और शुरुआती सफलता के बाद प्रमोद ने प्रोफेसरी छोड़ दी। मार्च 2021 में उन्होंने 60 किलो केंचुए खरीदे और हिसार के कैमरी गांव में 5 वर्मीकम्पोस्ट बेड तैयार किए। पहले उत्पादन से 4,000 किलो वर्मीकम्पोस्ट तैयार हुआ और 26,000 रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। इस अनुभव ने उन्हें व्यवसाय बढ़ाने का आत्मविश्वास दिया।

प्रोडक्शन में कई गुना वृद्धि
2021 से 2024 के बीच, प्रमोद ने अपने उत्पादन को 5 बेड से बढ़ाकर 85 बेड कर दिया। वर्तमान में उनके एक एकड़ के परिसर में 120 वर्मीकम्पोस्ट बेड, प्रोसेसिंग मशीनें और पैकेजिंग क्षेत्र मौजूद हैं। हर बेड में तीन महीने में उत्पादन होता है और सालाना 2.70 लाख किलो वर्मीकम्पोस्ट तैयार होता है।

सालाना ₹30 लाख की कमाई
प्रमोद तैयार वर्मीकम्पोस्ट को छोटे पैकेटों में बेचते हैं – 1 किलो ₹15 और 5 किलो ₹70। कुल बिक्री का केवल 15% नर्सरी को जाता है, बाकी किसान और बागवान सीधे खरीदते हैं। इसके अलावा, केंचुए भी बेचकर उन्हें सालाना 7–8 लाख रुपये की अतिरिक्त आय होती है।

भविष्य की योजनाएं
ग्राहक आधार अब ‘वर्ड ऑफ माउथ’ से बढ़ रहा है और खरीदार उत्पाद खुद यूनिट से ले जाते हैं। प्रमोद का लक्ष्य जल्द ही बेड़ की संख्या 150 तक बढ़ाना है और अपने व्यवसाय को और मजबूत बनाना है।

निष्कर्ष:
प्रमोद सहारन की कहानी यह दिखाती है कि शौक और मेहनत मिलकर छोटे निवेश को भी बड़ी सफलता में बदल सकते हैं। केवल ₹500 से शुरू हुए उनके प्रयास ने उन्हें सालाना 30 लाख रुपये तक की आय दिलाई और वर्मीकम्पोस्ट उद्योग में एक मिसाल कायम की।

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