
नई दिल्ली: देश में ई-कॉमर्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन साथ ही ग्राहकों से अतिरिक्त वसूली की घटनाएं भी आम हो गई हैं। हाल ही में कई कंपनियों ने दावा किया था कि उन्होंने डार्क पैटर्न हटाए हैं, लेकिन LocalCircles के एक सर्वे में पता चला कि कंपनियां अब भी ड्रिप प्राइसिंग (शुरुआत में कम दाम दिखाकर बाद में एक्स्ट्रा चार्ज जोड़ना) का इस्तेमाल कर रही हैं।
सर्वे की मुख्य बातें:
- 26 बड़ी कंपनियों ने सरकार (CCPA) को हलफनामा देकर कहा था कि वे ‘डार्क पैटर्न फ्री’ हैं।
- जांच में पाया गया कि इनमें से 21 कंपनियों पर अब भी ग्राहकों को फंसाने वाले तरीके मौजूद हैं।
- सर्वे में 392 जिलों के 2.5 लाख से ज्यादा लोगों की राय और AI रिसर्च शामिल थी।
- 300 से ज्यादा अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की पड़ताल की गई।
सबसे ज्यादा गड़बड़ कहां?
डिजिटल लेंडिंग, एडटेक, ऑनलाइन बैंकिंग, ई-कॉमर्स, ओटीटी, ऐप टैक्सी, फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स, सॉफ्टवेयर एप्स, दवाई और हेल्थ सर्विस, ट्रैवल (फ्लाइट और ट्रेन टिकट), मूवी/इवेंट टिकट, ऑनलाइन पेमेंट, ऑनलाइन गेमिंग, रियल एस्टेट, इंश्योरेंस, विदेशी मुद्रा, ब्रॉडबैंड और नौकरी खोजने वाली साइट्स।
कहीं कम गड़बड़:
ट्रेन टिकट बुकिंग, मोबाइल टेलीकॉम, वॉयस असिस्टेंट, डाइनिंग सर्विस, सरकारी सेवाएं, होम हेल्थ सर्विस, इलेक्ट्रिक स्कूटर, ऑनलाइन ट्रेडिंग, पुरानी कारों की बिक्री, पैथोलॉजी लैब, क्रिप्टोकरेंसी, डेटिंग/मैट्रिमोनियल एप्स और ऑनलाइन जूलरी।
निष्कर्ष:
ग्राहकों को यह समझना जरूरी है कि कई बड़े प्लेटफॉर्म्स ने अभी भी छिपे हुए चार्जेस और ड्रिप प्राइसिंग का सहारा लिया है। ऑनलाइन खरीदारी करते समय हमेशा कुल कीमत और अतिरिक्त चार्जेस की जांच करना निवेशकों और ग्राहकों के लिए अहम है।