
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन की करारी हार ने राष्ट्रीय स्तर पर इंडी गठबंधन में खलबली मचा दी है। गठबंधन में शामिल दल अब अपने अलग रास्ते अपनाने पर विचार करने लगे हैं। आलोचना और नाराजगी का केंद्र कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी बन चुके हैं।
शिवसेना (यूबीटी) का मोर्चा:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पिछली हार झेल चुकी शिवसेना (यूबीटी) ने बिहार चुनाव में भी कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधा। पार्टी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा, “(इंडी गठबंधन की स्थिति पर) जब हम भंडारे में जाते हैं तो खाना खत्म हो जाता है, बाहर आते हैं तो चप्पल गायब हो जाती है। नाच नहीं पा रहे और आंगन-छत टेढ़ी हैं। हमारा दुख कम क्यों नहीं होता?” उनका यह बयान और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
आम आदमी पार्टी की चेतावनी:
बिहार में अलग चुनाव लड़ने वाली आप ने भी गठबंधन की स्थिति पर चिंता जताई। पार्टी प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, “यह हाई टाइम है कि कांग्रेस के सभी अलायंस पार्टनर यह मान लें कि ‘रागा (राहुल गांधी) टच’ छू गया तो डूबना तय है।”
जेएमएम विकल्प पर विचार कर रही:
इंडी गठबंधन में जेएमएम ने बिहार चुनाव में सहयोगियों की बेरुखी के चलते अपनी भागीदारी पर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी ने कहा कि गठबंधन में क्षेत्रीय दलों के साथ जूनियर पार्टनर जैसा व्यवहार किया जा रहा है।
सपा भी कर रही मंथन:
यूपी की समाजवादी पार्टी ने बिहार में महागठबंधन के संचालन पर नाराजगी जताई। पार्टी नेताओं का कहना है कि उनके प्रयासों के बावजूद चुनाव लड़ने के लिए उन्हें कोई सीट नहीं दी गई। सपा अब इंडी गठबंधन में सुधार और राज्यों में प्रभावशाली क्षेत्रीय दलों को अधिक महत्व देने की बात कह रही है, जो कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए स्पष्ट राजनीतिक चेतावनी है।
निष्कर्ष:
बिहार चुनाव में महागठबंधन की हार ने इंडी गठबंधन में राजनीतिक विकल्प तलाशने की प्रक्रिया तेज कर दी है। कांग्रेस और राहुल गांधी पर दलों की नाराजगी साफ दिखाई दे रही है और यह गठबंधन के भविष्य पर गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है।