
नई दिल्ली: मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्षी दलों में कड़ा विरोध देखने को मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट में केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई से पहले समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और राजद समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए और इसे गैर-कानूनी करार दिया।
समाजवादी पार्टी का रुख:
सपा नेता फखरुल हसन चांद ने कहा, “एसआईआर से जुड़ी पिटीशन अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। लीगल एक्सपर्ट्स बार-बार कह चुके हैं कि यह प्रक्रिया गैर-कानूनी है। चुनाव आयोग को मतदाताओं के लिए अलग से फॉर्म भरवाने का कोई अधिकार नहीं है। अगर यह शुद्धिकरण है तो मतदाता सूची क्यों एक नहीं हो रही?”
राजद और कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि वे सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं ताकि कार्रवाई और फैसले की जानकारी मिल सके।
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, “यह लीगल और पॉलिटिकल लड़ाई है। हर राजनीतिक दल को इसमें हिस्सा लेना पड़ेगा। चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को हठ और जिद के साथ चला रहा है, जिस पर किसी को भरोसा नहीं है। बिहार चुनाव में इसका कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि जिनका नाम काटा गया, वे विपक्षी वोटर थे।”
संदीप दीक्षित ने बांग्लादेशी नागरिकों से जुड़े मुद्दे पर कहा, “अगर गैर-कानूनी बांग्लादेशी वापस जा रहे हैं तो यह अच्छी बात है। बीएसएफ को उनकी पहचान करनी चाहिए। सवाल यह है कि उन्हें पहले क्यों नहीं पकड़ा गया? एसआईआर का इससे ज्यादा संबंध नहीं है।”
सुनवाई और निर्णय का इंतजार:
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा, “सुनवाई होगी और हम उसका इंतजार करेंगे। न्यायपालिका और संविधान का सम्मान करते हुए, फैसले के अनुसार ही अपना बयान जारी करेंगे।”
निष्कर्ष:
SIR को लेकर विपक्षी दलों में नाराजगी और सख्त रुख स्पष्ट है। नेताओं ने प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाए हैं और सभी राजनीतिक दलों के लिए इसे चुनौतीपूर्ण लड़ाई बताया है।