Friday, November 21

‘जान बचाने वाले जान ले रहे…’: दिल्ली धमाके को लेकर पूर्व सेना अधिकारी का बड़ा दावा, बोले– पाकिस्तानी डीप स्टेट शामिल

नई दिल्ली, 21 नवंबर। लाल किले के पास हुए आत्मघाती धमाके को लेकर सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन (रि.) ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि इस हमले में पाकिस्तान की डीप स्टेट, आईएसआई और जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका साफ दिखाई देती है। ढिल्लन ने चेतावनी देते हुए कहा कि आतंकियों के मॉड्यूल में ऐसे सफेदपोश लोग शामिल किए जा रहे हैं, जिन पर किसी को शक नहीं होता—और यही लोग ‘टिक-टिक करते टाइम बम’ साबित हो रहे हैं।

‘पाकिस्तानी डीप स्टेट का हाथ साफ दिखता है’

एएनआई को दिए इंटरव्यू में लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लन ने कहा कि लाल किले के पास हुआ धमाका पुलवामा हमले की तरह बेहद सोची-समझी रणनीति के तहत अंजाम दिया गया है।
उन्होंने कहा,
“पाकिस्तानी डीप स्टेट का एजेंडा भारत में आतंक फैलाना है। जैश-ए-मोहम्मद उसी का तैयार किया हुआ प्रोडक्ट है और इस मॉड्यूल पर जैश का साफ-साफ सिग्नेचर दिखाई दे रहा है।”

ढिल्लन के अनुसार जिस तरह पुलवामा में हमले वाली कार कई हाथों से गुजरी थी, ठीक उसी तरह इस मॉड्यूल को भी बेहद चालाकी से तैयार किया गया है ताकि किसी को शक न हो सके।

सफेदपोश आतंकी—‘टिक-टिक करते टाइम बम’

पूर्व सेना अधिकारी ने कहा कि आतंकवादियों का चेहरा अब बदल रहा है।
“ये लोग डॉक्टर, प्रोफेशनल, पढ़े-लिखे और शरीफ नज़र आने वाले होते हैं, लेकिन असल में ये टिक-टिक करते टाइम बम हैं।”

फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल में लगातार डॉक्टरों के नाम सामने आने पर उन्होंने इसे समाज के उस हिस्से को निशाना बनाने की साजिश बताया, जिस पर कोई शक नहीं करता।
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों जैसे ‘जान बचाने वाले’ पेशे के लोगों को आतंक के लिए भर्ती करना ‘हैवानियत’ है।

बड़े हमले की साजिश का संकेत

ढिल्लन ने खुलासा किया कि मॉड्यूल से मिले 20 डेटोनेटर और 24 रिमोट कंट्रोल, 150 किलो के 20 बड़े बम विस्फोट कराने में सक्षम हैं। इससे साफ है कि साजिश केवल एक धमाके तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसके जरिए देश में बड़े पैमाने पर दहशत फैलाने की योजना थी।

लाल किला धमाके में 15 मौतें

अब तक इस आत्मघाती धमाके में 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं।
यह हमला फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. उमर उन नबी ने किया, जिसकी जांच एनआईए कर रही है।

निष्कर्ष

दिल्ली धमाके ने सुरक्षा एजेंसियों को नए सिरे से चुनौती दी है। सफेदपोश आतंकियों की बढ़ती भूमिका और पाकिस्तान समर्थित आतंकी ढांचे की सक्रियता ने देश की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पूर्व सेना अधिकारी की चेतावनी इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में ऐसे मॉड्यूलों से खतरा और बढ़ सकता है, इसलिए सतर्कता और खुफिया निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत है।

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