
संभल। जामा मस्जिद–हरिहर मंदिर विवाद को लेकर बुधवार को जिले में तनावपूर्ण माहौल बन गया। कैला देवी मंदिर के महंत और याचिकाकर्ता ऋषिराज गिरि महाराज द्वारा 22 किलोमीटर की पदयात्रा निकालने की घोषणा के बाद प्रशासन ने जिले को हाई अलर्ट पर कर दिया था। भीड़ बढ़ने और टकराव की आशंका को देखते हुए डीएम राजेंद्र पैसिया ने स्वयं महंत से फोन पर बातचीत की और शांति बनाए रखने की अपील की।
डीएम की अपील के बाद 22 किमी की यात्रा रद्द
डीएम ने महंत ऋषिराज से आग्रह किया कि वे जिला प्रशासन का सहयोग करें और यात्रा को मंदिर परिसर तक ही सीमित रखें। डीएम की अपील के बाद महंत ने तुरंत 22 किलोमीटर की प्रस्तावित यात्रा रद्द करते हुए केवल मां कैला देवी मंदिर के आसपास एक किलोमीटर की पदयात्रा निकाली।
इस निर्णय के बाद शहर में तनाव कम हुआ और हालात नियंत्रित रहे।
मंदिर परिसर में भीड़, बैरिकेडिंग पर विवाद
पदयात्रा की घोषणा के बाद सुबह से ही मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में लोग जुटने लगे।
पुलिस ने सुरक्षा के लिए मंदिर के बाहर बैरिकेडिंग की, जिसका महंत ऋषिराज ने विरोध किया और समर्थकों ने वैरिकेडिंग हटाने की कोशिश की।
स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने कड़ी निगरानी रखी।
जिले में RAF, PAC के जवान, आठ थानों की फोर्स, और वरिष्ठ अफसर तैनात रहे।
पूरे मार्ग की निगरानी 400 CCTV कैमरों और ड्रोन से की गई।
जामा मस्जिद कमेटी ने उठाई आपत्ति
जामा मस्जिद की इतेजामिया कमेटी के सदर जफर अली ने पदयात्रा पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मस्जिद में परिक्रमा जैसी कोई परंपरा कभी नहीं रही।
वहीं एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि जिले में धारा 163 लागू है, ऐसे में किसी भी प्रकार का जुलूस या भीड़ का जुटना कानूनन वर्जित है।
वर्ष 2024 के सर्वे विवाद में 5 लोगों की मौत
यह विवाद 19 नवंबर 2024 को दायर उस सिविल याचिका से जुड़ा है, जिसमें दावा किया गया था कि जामा मस्जिद का मूल स्वरूप श्री हरिहर मंदिर था।
इसी दावे पर कोर्ट ने अधिवक्ता रमेश सिंह राघव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश दिया था।
24 नवंबर 2024 को दोबारा सर्वे के दौरान हुई हिंसा में 5 लोगों की मौत और 29 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
याचिकाकर्ताओं में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, पार्थ यादव, महंत ऋषिराज गिरि सहित कई अन्य शामिल हैं।