
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल के गठन में एक हैरान करने वाला राजनीतिक मोड़ सामने आया है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बना दिया गया। यह फैसला न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि इसे उपेंद्र कुशवाहा की दूरगामी रणनीति का परिणाम माना जा रहा है।
अंतिम समय में बदला समीकरण
सूत्रों के मुताबिक, आरएलएम कोटे से मंत्री पद के लिए पहले कुशवाहा की पत्नी और सासाराम से विधायक स्नेहलता के नाम की चर्चा चल रही थी। लेकिन शपथ ग्रहण से ठीक पहले समीकरण अचानक बदल गया और मंत्री पद दीपक प्रकाश की झोली में डाल दिया गया।
उपेंद्र कुशवाहा की दोहरी राजनीतिक डील
एनडीए में सीट बंटवारे के दौरान उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी किसी से छिपी नहीं थी। बताया जाता है कि इसी नाराजगी के बीच उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई, जिसके बाद उन्हें एक एमएलसी सीट देने का भरोसा दिया गया।
कुशवाहा ने इसी वादे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर लिया—
- पत्नी स्नेहलता की जगह बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनवाया
- एमएलसी सीट की दावेदारी भी पक्की कर ली
दीपक प्रकाश ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन मंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने के भीतर विधानमंडल का सदस्य बनना अनिवार्य है। ऐसे में एमएलसी सीट उनके लिए लगभग तय मानी जा रही है।
एक तीर से दो निशाने
इस पूरे घटनाक्रम में उपेंद्र कुशवाहा ने:
✔️ बेटे को मंत्री पद दिलाया
✔️ एनडीए से एमएलसी सीट की गारंटी भी सुनिश्चित की
राजनीतिक जानकार इसे कुशवाहा की सबसे सफल और प्रभावशाली रणनीतियों में से एक बता रहे हैं।
नीतीश सरकार के नए मंत्रिमंडल में यह नियुक्ति न केवल सियासी हलचल मचा रही है, बल्कि गठबंधन राजनीति की बारीकियों को भी साफ उजागर कर रही है।