
पटना/अररिया: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद फारबिसगंज और चनपटिया सीटों से पार्टी के दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर बड़े राजनीतिक झटके दिए। मनोज विश्वास और अभिषेक रंजन ने अपने क्षेत्रों में दो-दो बार के भाजपा विधायक को हराकर साबित कर दिया कि कांग्रेस अभी भी लोक स्तर पर प्रभाव रखती है।
कांग्रेस के छह विधायक
इस चुनाव में कांग्रेस ने कुल 61 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से केवल छह विधायक जीत पाए। सीमांचल क्षेत्र से मनोज विश्वास (फारबिसगंज), आबिदुर रहमान (अररिया), मोहम्मद कमरुल होदा (किशनगंज), मनोहर प्रसाद सिंह (मनिहारी) और चंपारण क्षेत्र से अभिषेक रंजन (चनपटिया) और सुरेंद्र प्रसाद (वाल्मीकिनगर) विजयी रहे।
फारबिसगंज में भाजपा को झटका
फारबिसगंज में मनोज विश्वास ने 35 साल से चले आ रहे भाजपा के दबदबे को तोड़ दिया। उन्होंने विद्या सागर केशरी को केवल 221 वोटों के अंतर से हराया। यह सीट लंबे समय से भाजपा का गढ़ रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने अपनी पकड़ मजबूत कर दिखाई। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि फारबिसगंज में इस जीत से भविष्य में भाजपा के प्रभाव पर असर पड़ सकता है।
चनपटिया में बदलाव
चनपटिया में अभिषेक रंजन की जीत ने भी यह दिखा दिया कि वोटरों का मूड बदल रहा है। इस क्षेत्र में कांग्रेस की वापसी और भाजपा के लंबे समय से कब्जे में खलल डालना यह संकेत देता है कि मतदाता अब अपने फैसले अधिक स्वतंत्र रूप से ले रहे हैं।
मोदी रैलियों को भी नहीं रोक सका
चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फारबिसगंज और बेतिया में रैलियों को संबोधित किया था। इसके बावजूद भाजपा उम्मीदवार हार गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय नेताओं और उम्मीदवारों की छवि ने वोटरों के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की हार के बावजूद मनोज विश्वास और अभिषेक रंजन की जीत ने साबित कर दिया कि पार्टी के पास अभी भी रणनीतिक और जनाधार से जुड़े मौके मौजूद हैं।