
कानपुर: यूपी के कानपुर में पकड़ी गई कथित लुटेरी दुल्हन दिव्यांशी राठौर की पुलिसिया कहानी कोर्ट में ध्वस्त हो गई। अदालत ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए दिव्यांशी को एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पुलिस ने उसके खिलाफ कोई ठोस या विश्वसनीय सबूत पेश नहीं किया।
शिकायतकर्ता और विवेचक एक ही थाने में
मामला और पेचीदा है क्योंकि शिकायतकर्ता दरोगा आदित्य कुमार और जांच अधिकारी दोनों ही उसी ग्वालटोली थाने से जुड़े हैं, जहां पर मामला दर्ज किया गया। अदालत ने कहा कि इससे जांच की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न उठता है।
पुलिस का दावा और अदालत की प्रतिक्रिया
दरोगा आदित्य कुमार ने आरोप लगाया था कि शादी के बाद दिव्यांशी घर में नहीं रहती थीं और मायके में रहकर बीएड और सीटेट की तैयारी करती थीं। पुलिस ने शुरुआती जांच में दावा किया कि दिव्यांशी ने कई लोगों के साथ शादी की और उनसे वसूली की। इसके अलावा उसके खाते में 8 करोड़ रुपये जमा होने का भी दावा किया गया।
हालांकि, अदालत ने कहा कि पुलिस रिमांड के लिए आवश्यक पुख्ता सामग्री पेश नहीं कर पाई। पुलिस द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेज़ और आरोप पर्याप्त नहीं माने गए।
अदालत का आदेश
कोर्ट ने न्यायिक रिमांड देने से इनकार करते हुए दिव्यांशी को व्यक्तिगत बांड पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने पुलिस को स्पष्ट चेतावनी दी कि जांच में निष्पक्षता और सत्यापन सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
इस फैसले के बाद कानपुर की पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोग और कानूनी विशेषज्ञ इसे साक्ष्यों और जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता की परीक्षा मान रहे हैं।