
जयपुर। डॉक्टर बनने का सपना लेकर कजाकिस्तान गया राजस्थान का बेटा राहुल घोसल्या अब इस दुनिया में नहीं रहा। जयपुर जिले के शाहपुरा तहसील के नयाबास गांव का रहने वाला राहुल 8 अक्टूबर को अचानक ब्रेन हेमरेज का शिकार हो गया था। इलाज के तमाम प्रयासों के बावजूद उसने जिंदगी की जंग हार दी। राहुल को कजाकिस्तान से एयर एंबुलेंस के जरिए जयपुर लाया गया था, लेकिन 13 दिन तक चले इलाज के बाद भी उसे होश नहीं आया और आखिरकार उसकी मौत हो गई।
सरकार ने की हर संभव कोशिश, पर ना बच सका राहुल
जब राहुल की तबीयत बिगड़ने की खबर भारत पहुंची, तो परिवार सदमे में चला गया। विदेश में अकेले फंसे राहुल की हालत गंभीर थी। मामला मीडिया में आने के बाद राज्य सरकार और विदेश मंत्रालय सक्रिय हुए और एयर एंबुलेंस से उसे कजाकिस्तान से जयपुर लाया गया। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने लगातार उसका इलाज किया, परंतु उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ।
सात बहनों का इकलौता भाई था राहुल
राहुल अपने परिवार का सबसे छोटा और सात बहनों का इकलौता भाई था। घर का लाडला, जिसकी आंखों में सिर्फ एक सपना था — डॉक्टर बनकर अपने गांव और देश की सेवा करना। माता-पिता ने भी उसी सपने को सच करने के लिए उसे कजाकिस्तान एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए भेजा था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
गांव में छाया मातम, आंखें नम
राहुल के निधन की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे नयाबास और शाहपुरा क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने बताया कि राहुल हमेशा मुस्कुराने वाला और मददगार स्वभाव का था। उसकी असमय मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया।
विदेश में पढ़ाई कर रहे छात्रों में चिंता
राहुल की मौत ने विदेशों में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों और उनके परिजनों को भी गहरी चिंता में डाल दिया है। कई अभिभावक अब अपने बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर सरकार से ठोस नीति की मांग कर रहे हैं।
राहुल के सपने अधूरे रह गए — लेकिन उसकी मेहनत, लगन और संघर्ष हमेशा याद किए जाएंगे। शाहपुरा ने अपना बेटा खो दिया, और राजस्थान ने एक भावी डॉक्टर।