Monday, November 17

बार में अश्लील डांस देखना अपराध नहीं: बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, मुंबई पुलिस को झटका

मुंबई।
डांस बार पर की जाने वाली पुलिस कार्रवाई को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि बार में डांसरों का प्रदर्शन देखना अपने आप में कोई अपराध नहीं है। अदालत ने चेंबूर के एक ग्राहक के खिलाफ दर्ज आरोप-पत्र को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि सिर्फ मौजूद होना अपराध नहीं ठहराया जा सकता

छापेमारी में 11 लोग पकड़े गए थे

4–5 मई 2024 की रात सुरभि पैलेस बार एंड रेस्टोरेंट में गुप्त सूचना के आधार पर छापा मारा गया था। इस दौरान रेस्टोरेंट मैनेजर, ऑर्केस्ट्रा कलाकारों और ग्राहकों सहित 11 लोगों को हिरासत में लिया गया था।
पुलिस का दावा था कि वहां महिलाएं अश्लील नृत्य कर रही थीं और कुछ ग्राहक उन्हें उकसा रहे थे

पुलिस ने लगाई गंभीर धाराएं

एक ग्राहक के खिलाफ IPC की धारा 188 (सार्वजनिक आदेश की अवहेलना) तथा महाराष्ट्र अश्लील नृत्य निषेध और महिलाओं की गरिमा संरक्षण अधिनियम, 2016 के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस का आरोप था कि उसने नर्तकियों को प्रोत्साहित कर “अपराध को बढ़ावा दिया”।

ग्राहक की दलील—सिर्फ बैठा था, कोई अपराध नहीं

आरोपी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि वह सिर्फ बार में मौजूद था, न कोई आदेश तोड़ा, न किसी अवैध गतिविधि को बढ़ावा दिया
उसके वकील सनी ए. वास्कर ने कहा कि
“डांस बार में मौजूद होना अपने-आप में अपराध नहीं है। पुलिस ने कोई ऐसी कार्रवाई नहीं दिखाई जो अपराध सिद्ध करे।”

अभियोजन—नर्तकियों को प्रोत्साहित किया गया

अभियोजन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि एफआईआर में ग्राहक द्वारा डांसर्स को प्रोत्साहित करने का दावा किया गया है, इसलिए उसे दोषमुक्त नहीं किया जा सकता।

अदालत ने कहा—सिर्फ मौजूद रहना अपराध नहीं

न्यायमूर्ति एन.जे. जमादार ने पुलिस की दलीलें कमजोर पाईं और कहा कि—

  • पुलिस ने कोई प्रत्यक्ष उकसावा,
  • कोई अवैध कार्रवाई,
  • या किसी साजिश का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया।

पंचनामा में केवल उसकी उपस्थिति दर्ज थी, जो किसी भी तरह से अपराध नहीं बनाती।

अदालत ने कहा कि किसी ऐसे स्थान पर मात्र मौजूद होना जहां डांस हो रहा हो, अवैध आदेश की अवहेलना नहीं माना जा सकता। न ही यह राज्य अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में मुकदमे को जारी रखना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

आरोप-पत्र रद्द, पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल

हाई कोर्ट ने ग्राहक के खिलाफ आरोप-पत्र रद्द कर दिया और साफ कहा कि घटनास्थल पर मौजूदगी और अपराध में सक्रिय भागीदारी के बीच अंतर स्पष्ट होना चाहिए।

Leave a Reply