
उज्जैन। शहर के राठौर परिवार की बहू और हाईकोर्ट एडवोकेट अभिजीता राठौर (35 वर्ष) ने अपने निधन के बाद 8 मरीजों को जीवनदान देकर मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की।
जानकारी के अनुसार, चिमनगंज मंडी निवासी रेलवे ठेकेदार प्रवीण राठौर की पत्नी अभिजीता को एक सप्ताह पहले लंग्स इंफेक्शन के चलते इंदौर के एक प्रसिद्ध हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद संक्रमण तो नियंत्रित हो गया था, लेकिन शनिवार को ब्रेन हेमरेज होने से उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया।
चिकित्सकों ने जब उनके अंगदान का प्रस्ताव परिवार के समक्ष रखा, तो परिजनों ने सहर्ष सहमति दी। इसके बाद चिकित्सकीय टीम और जिला प्रशासन की देखरेख में दिल, लिवर, गुर्दे, फेफड़े, किडनी, स्किन सहित कुल आठ अंगों को सुरक्षित निकालकर इंदौर सहित देश के विभिन्न शहरों में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जरूरतमंद मरीजों तक पहुँचाया गया।
अखिल भारतीय राठौर महासभा के संगठन मंत्री राजेंद्र राठौर ने बताया कि अभिजीता, इंदौर के शासकीय लोक अभियोजक अभिजीत राठौर की बहन तथा अखिल भारतीय क्षत्रिय राठौर महासभा के पूर्व अध्यक्ष रतन सिंह राठौर की पुत्री थीं।
रविवार को उनके निज निवास से निकली अंतिम यात्रा में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित सैकड़ों जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और अधिवक्ता शामिल हुए। इंदौर जिला प्रशासन द्वारा उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर देकर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई।
अभिजीता ने बीई, एलएलबी और एलएलएम की उपाधियाँ प्राप्त की थीं और इंदौर हाईकोर्ट में वकालत करती थीं। विवाह को 15 वर्ष हुए थे, और वे सामाजिक तथा धार्मिक कार्यों में सदैव सक्रिय रहती थीं। वे जरूरतमंदों को नि:शुल्क न्याय दिलाने में हमेशा अग्रणी रहीं।
अभिजीता की यह प्रेरणादायक पहल आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाती है कि — “मृत्यु के बाद भी कोई जीवनदान बन सकता है।”