
बारां: राजस्थान के अंता विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन ‘‘भाया’’ ने शानदार जीत दर्ज की। इस जीत में सबसे निर्णायक भूमिका निभाई माली (सैनी) समाज ने। प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस के विशाल रोड शो और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सभाओं ने माहौल ऐसा बना दिया कि माली वोट बैंक कांग्रेस की ओर झुक गया और बीजेपी का समीकरण कमजोर पड़ गया।
माली समाज ने बदला खेल
अंता क्षेत्र में माली (सैनी) समाज की अच्छी-खासी संख्या है। बीजेपी ने मोरपाल सुमन को इस समीकरण को साधने के लिए मैदान में उतारा था, लेकिन अंतिम दिनों में सैनी समाज का झुकाव कांग्रेस की ओर बढ़ गया। प्रचार के अंतिम दिन भव्य रोड शो और गहलोत की सभाओं में इस समाज की भारी भागीदारी ने स्पष्ट संकेत दे दिए कि भाया की जीत पक्की हो रही है।
भारी भीड़ वाला रोड शो बना टर्निंग पॉइंट
कांग्रेस का रोड शो जैन तीर्थ बमूलिया से शुरू होकर बटावदी, बिजोरा, पलसावा, पचेलकलां, महुआ और मांगरोल तक गया। हर गांव में भव्य स्वागत और समर्थन ने माहौल बदल दिया। कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत की जादूगरी और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता ने भाया के पक्ष में वोटों का रुझान तय किया।
गहलोत का आक्रमक हमला और योजनाओं की याद
अशोक गहलोत ने सभाओं में जनता को कांग्रेस की योजनाओं की याद दिलाई। उन्होंने 25 लाख तक मुफ्त इलाज, स्कूटी योजना और पेंशन स्कीम का उल्लेख किया और भाजपा के प्रशासनिक फैसलों पर भी निशाना साधा। गहलोत के आक्रामक प्रचार ने भाया को निर्णायक बढ़त दिलाई।
अंता उपचुनाव के नतीजे
प्रमोद जैन ‘‘भाया’’ ने 69,571 वोट पाकर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी के मोरपाल सुमन को 53,959 वोट मिले। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने 53,800 वोट हासिल किए। भाया की यह जीत लगभग 15,000 वोटों के अंतर से हुई, जिसने माली समाज के प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाया।
अंता सीट पर जातिगत समीकरण
अंता क्षेत्र में कुल 2,27,563 पंजीकृत मतदाता हैं। इनमें 1,16,405 पुरुष, 1,11,154 महिला और 4 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, सबसे अधिक प्रभाव माली (सैनी) समाज का है, जिसकी संख्या लगभग 45,000 मतदाता है। इसके बाद मीणा समाज (35,000), धाकड़ समाज (28,000), मुस्लिम (18,000), गुर्जर (14,000) और ब्राह्मण (15,000) मतदाता हैं।
अंता उपचुनाव ने स्पष्ट कर दिया कि स्थानीय वोट बैंक और सामाजिक समीकरण ही चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस बार माली समाज की सक्रिय भागीदारी ने भाया की जीत को ऐतिहासिक बना दिया।