
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में एमबीए छात्र एंजेल चकमा की मौत के मामले में नस्लीय टिप्पणी और हिंसा को लेकर उठ रहे सवालों के बीच अब मुख्य आरोपी की मां का बड़ा बयान सामने आया है। आरोपित सूरज ख्वास की मां ने मीडिया में लगाए जा रहे नस्लीय टिप्पणी और भेदभाव के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उनका परिवार स्वयं पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर से है, ऐसे में नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप पूरी तरह निराधार है।
‘मामले को गलत रंग दिया जा रहा’
सेलाकुई के धूलकोट इलाके में रहने वाली सूरज ख्वास की मां ने कहा कि घटना को लेकर मीडिया में जो बातें दिखाई जा रही हैं, वे वास्तविकता से परे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और अब तक जांच में नस्लीय टिप्पणी से जुड़े कोई ठोस साक्ष्य सामने नहीं आए हैं।
पुलिस ने बढ़ाईं धाराएं
देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने जांच से जुड़े बिंदुओं को साझा करते हुए बताया कि प्रारंभिक जांच में जातीय टिप्पणी और हिंसा के आरोप सामने आए थे, जिसके आधार पर मामले में एससी–एसटी एक्ट की धाराएं बढ़ाई गई हैं। पुलिस का कहना है कि सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच की जा रही है और साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मारपीट के दौरान सिर पर वार और चाकू से हमला
जांच में सामने आया है कि बाजार में किसी बात को लेकर सूरज ख्वास के समूह और एंजेल चकमा के बीच विवाद हुआ, जो जल्द ही मारपीट में बदल गया। आरोप है कि शौर्य राजपूत ने हाथ में पहने कड़े से एंजेल के सिर पर वार किया, जिससे वह अचेत हो गया। इसके बाद यज्ञराज अवस्थी ने पास ही एक अंडे की ठेली से चाकू उठाकर एंजेल की पीठ पर वार किया। गंभीर रूप से घायल एंजेल को उसके भाई और परिचित अस्पताल लेकर पहुंचे।
पुलिस को तत्काल सूचना नहीं
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि घटना के तुरंत बाद न तो पुलिस कंट्रोल रूम और न ही स्थानीय थाना या चौकी को सूचना दी गई। पीड़ित पक्ष स्वयं एंजेल को अस्पताल लेकर गया और वहीं उसका इलाज शुरू हुआ।
17 दिन तक चला इलाज, 26 दिसंबर को मौत
ग्राफिक्स एरा अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, एंजेल चकमा को 9 दिसंबर की शाम 6:48 बजे अस्पताल लाया गया और 7:02 बजे इमरजेंसी में भर्ती किया गया। हालत गंभीर होने पर उसे क्रिटिकल यूनिट में शिफ्ट किया गया। न्यूरो सर्जन की निगरानी में इलाज के बावजूद 26 दिसंबर को एंजेल की मौत हो गई।
परिजनों की सख्त सजा की मांग
त्रिपुरा निवासी एंजेल चकमा के परिजनों ने इस मामले में शामिल सभी आरोपियों के लिए मौत की सजा या कम से कम आजीवन कारावास की मांग की है। एंजेल के मामा मोमेन चकमा ने कहा कि उनका परिवार चाहता है कि इस जघन्य अपराध में दोषियों को कठोरतम सजा मिले और सरकार ऐसे ठोस कदम उठाए, जिससे पूर्वोत्तर के लोगों को देश के अन्य हिस्सों में नस्लीय घृणा और हिंसा का सामना न करना पड़े।