Wednesday, December 31

अडानी ग्रुप चाहता है ज्यादा फ्लाइट्स, लेकिन एयर इंडिया और इंडिगो ने जताई आपत्ति

 

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नई दिल्ली: अडानी ग्रुप देश में 8 प्रमुख हवाई अड्डों के विकास पर अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है और चाहता है कि सरकार विदेशी एयरलाइंस को अधिक उड़ान भरने की अनुमति दे। इसका मकसद अधिक यात्री आकर्षित करना और हवाई अड्डों को ग्लोबल एविएशन हब बनाना है।

 

हालांकि, एयर इंडिया और इंडिगो ने सरकार से विदेशी एयरलाइंस को अधिक उड़ान अधिकार देने में सावधानी बरतने की मांग की है। एयर इंडिया का कहना है कि इससे उन्हें पश्चिम एशिया की अमीर एयरलाइंस के साथ अनुचित प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।

 

क्या है अडानी की योजना:

अडानी एयरपोर्ट्स होल्डिंग्स ने सरकार से कहा है कि यूएई, सऊदी अरब, कतर, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसी देशों के साथ बातचीत शुरू की जाए ताकि उड़ानों की संख्या बढ़ाई जा सके। अडानी ग्रुप का मानना है कि अधिक उड़ानें भारतीय हवाई अड्डों के निवेश को लाभकारी बनाएंगी और यात्रियों के लिए विकल्प बढ़ाएंगी।

 

सरकार का रुख और असर:

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के अधिकार दोनों देशों के बीच आपसी समझौते से तय होते हैं। भारत सरकार का कहना है कि यह नीति भारतीय एयरलाइंस की सुरक्षा और निवेशों की रक्षा के लिए जरूरी है। 2014 में लागू राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति के तहत, जब तक भारतीय एयरलाइंस की क्षमता का 80% उपयोग नहीं होता, विदेशी एयरलाइंस को अतिरिक्त उड़ान अनुमति नहीं दी जाती। इस वजह से हवाई किराये बढ़ रहे हैं और यात्रियों के विकल्प सीमित हो रहे हैं।

 

चुनौतियां और निवेश जोखिम:

अडानी ग्रुप के एयरपोर्ट्स में किए जा रहे भारी निवेश को जोखिम का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि भारतीय एयरलाइंस की विस्तार योजना धीमी है। इंडिगो जैसी एयरलाइन हाल ही में हजारों उड़ानें कैंसिल कर चुकी है, जिससे यात्री प्रभावित हुए हैं। निवेश की सुरक्षा और हवाई यातायात के समुचित विस्तार को लेकर अभी भी चर्चा जारी है।

 

 

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