
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए कड़े वीजा और इमिग्रेशन नियमों ने भारतीय प्रवासियों समेत लाखों अप्रवासियों के मन में गहरा भय पैदा कर दिया है। हालात ऐसे बन गए हैं कि वैध वीजा और अमेरिकी नागरिकता हासिल कर चुके लोग भी अनावश्यक रूप से घर से बाहर निकलने से बच रहे हैं।
क्रिसमस और नववर्ष की छुट्टियों के दौरान, जब आमतौर पर अमेरिका में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में भारी इजाफा होता है, इस बार यात्रा में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की गई है।
27% प्रवासियों ने जानबूझकर बंद की यात्रा
काइज़र फैमिली फाउंडेशन (KFF) और न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा वर्ष 2025 में किए गए संयुक्त सर्वे के अनुसार, अमेरिका में रहने वाले लगभग 27 प्रतिशत अप्रवासियों ने इमिग्रेशन एजेंसियों की नजर से बचने के लिए यात्रा करना बंद कर दिया है।
चिंताजनक तथ्य यह है कि यह डर केवल अवैध अप्रवासियों तक सीमित नहीं है।
वैध वीजा धारकों में 32%
प्राकृतिक नागरिकता प्राप्त लोगों में 15%
ने भी यात्रा से दूरी बना ली है।
वहीं, बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों में यह आंकड़ा 63 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
एयरपोर्ट और घरेलू उड़ानों पर कड़ी निगरानी
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के दौरान एयरपोर्ट पर सुरक्षा और जांच व्यवस्था को अभूतपूर्व रूप से सख्त किया गया है।
ट्रांसपोर्ट सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (TSA) अब घरेलू यात्रियों से जुड़ा डेटा, जैसे पैसेंजर मैनिफेस्ट, इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) के साथ साझा कर रहा है।
इसका उद्देश्य उन लोगों की पहचान करना बताया जा रहा है, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हो सकते हैं।
भारतीय पेशेवरों पर सबसे गहरा असर
इन सख्त नीतियों का सबसे अधिक असर भारतीय H-1B और H-4 वीजा धारकों पर पड़ा है।
टेक्सास में रहने वाली 30 वर्षीय भारतीय आईटी प्रोफेशनल शिखा एस. ने दो साल बाद भारत आकर माता-पिता से मिलने के लिए टिकट बुक किए थे, लेकिन बढ़ी जांच, वीजा अपॉइंटमेंट में देरी और अनिश्चितता के चलते उन्हें अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी।
शिखा के पिता ने कहा,
“हम नहीं चाहते कि हमारी बेटी किसी गैर-जरूरी परेशानी में फंसे। भले ही उसका वीजा वैध है, लेकिन मौजूदा हालात डराने वाले हैं।”
H-1B नियमों में बदलाव से बढ़ी मुश्किलें
जुलाई से ट्रंप प्रशासन ने H-1B और H-4 वीजा से जुड़े कई अहम बदलाव किए हैं, जिनमें शामिल हैं—
रिमोट वीजा रिन्यूअल की सुविधा समाप्त
नए आवेदनों पर भारी शुल्क
वीजा से पहले सोशल मीडिया स्क्रीनिंग अनिवार्य
इन बदलावों के कारण हजारों भारतीय पेशेवर असमंजस में हैं। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियों और इमिग्रेशन वकीलों ने भी अपने कर्मचारियों को गैर-जरूरी अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने की सलाह दी है।
डर के साए में जिंदगी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह माहौल न केवल अप्रवासियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर असर डाल रहा है, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और कार्यबल पर भी दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
अमेरिका, जो कभी अवसरों की भूमि माना जाता था, वहां आज हजारों भारतीय परिवार डर और अनिश्चितता के साए में जीने को मजबूर हैं।