
ढाका।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के प्रभाव में आने और भारत विरोधी तत्वों को अप्रत्यक्ष संरक्षण देने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यूनुस प्रशासन न केवल पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को तेजी से मजबूत कर रहा है, बल्कि ऐसे संगठनों को भी खुली छूट दे रहा है जो ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ जैसे विवादास्पद और भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वाले विचारों को बढ़ावा देते रहे हैं।
पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकियां, भारत विरोधी संकेत
हाल ही में मोहम्मद यूनुस द्वारा पाकिस्तान के उच्चायुक्त से मुलाकात और दोनों देशों के बीच “दोस्ती को नई दिशा” देने पर जोर दिए जाने को कूटनीतिक हलकों में संदेह की नजर से देखा जा रहा है। आरोप है कि यूनुस सरकार में शामिल कई मंत्री और अधिकारी जमात-ए-इस्लामी और हिज्ब-उत-तहरीर जैसे पाकिस्तान समर्थक और कट्टरपंथी संगठनों के प्रभाव में निर्णय ले रहे हैं।
‘ग्रेटर बांग्लादेश’ विचारधारा को मिल रही हवा
नॉर्थईस्ट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में मारे गए कट्टरपंथी मंच ‘इंक़िलाब मंच’ के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी बीते एक साल से टीवी बहसों और सार्वजनिक मंचों पर उग्र बयानबाजी कर रहे थे।
हादी न केवल पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणियों के लिए चर्चा में थे, बल्कि वह ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ की अवधारणा के प्रबल समर्थक भी थे, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के हिस्सों को शामिल करने की बात कही जाती रही है।
दिनदहाड़े हत्या और उठते सवाल
11 दिसंबर को यूनुस प्रशासन ने 12 फरवरी 2026 को चुनाव कराने की घोषणा की। इसके तुरंत बाद हादी ने ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया।
अगले ही दिन, दिनदहाड़े एक मोटरसाइकिल सवार हमलावर ने उन्हें सिर में गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना ने यूनुस सरकार की भूमिका और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जमानत नीति पर गंभीर आरोप
वीडियो फुटेज और पुलिस जांच में सामने आया कि हमलावर पहले उसी समूह से जुड़ा था, जिसका हादी हिस्सा रह चुका था। पुलिस के अनुसार, आरोपी एक पूर्व अवामी लीग छात्र नेता था, जिसे अगस्त 2024 में हथियारबंद डकैती के मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई।
रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि जब जेलें गंभीर अपराधों में दोषी बुजुर्ग कैदियों से भरी हैं और अदालतें कथित तौर पर कार्यकारी निर्देशों के तहत काम कर रही हैं, तो एक हथियारबंद डकैत को जमानत कैसे दी गई।
सैकड़ों आतंकियों को राहत का आरोप
यूनुस प्रशासन पर यह भी आरोप है कि उसने सैकड़ों आतंकियों के मामलों में या तो जमानत दी है या आरोप वापस ले लिए हैं। इससे यह आशंका और गहराती है कि अंतरिम सरकार कुछ खास कट्टरपंथी समूहों पर भरोसा कर रही है और उन्हें राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि जुलाई 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई तथाकथित छात्र नेता, जो पहले अवामी लीग से जुड़े थे, बाद में कट्टरपंथी संगठनों के साथ सक्रिय पाए गए। जमात-ए-इस्लामी ने स्वयं स्वीकार किया है कि उसने उन विरोध प्रदर्शनों के आयोजन में भूमिका निभाई थी।
भारत की सुरक्षा के लिए चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव इसी तरह बढ़ता रहा, तो इसका सीधा असर भारत-बांग्लादेश संबंधों और पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा पर पड़ सकता है।
‘ग्रेटर बांग्लादेश’ जैसे विचार न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा हैं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को अस्थिरता की ओर धकेल सकते हैं।