
राजस्थान की प्रतियोगी परीक्षाओं में हुए बहुचर्चित पेपर लीक मामलों में जेल में बंद आरपीएससी के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। चार्जशीट के अनुसार, कटारा ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) का सदस्य बनने के लिए ₹1.20 करोड़ की डील की थी।
ईडी द्वारा दाखिल चार्जशीट में कहा गया है कि बाबूलाल कटारा ने यह राशि डूंगरपुर के तत्कालीन जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश खोड़निया से सौदे के तहत तय की थी। डील के बाद अक्टूबर 2020 में कटारा को आरपीएससी का सदस्य नियुक्त किया गया।
इंटरव्यू में चयन के बदले भी वसूली
चार्जशीट में यह भी सामने आया है कि कटारा ने अभ्यर्थियों से इंटरव्यू में चयन के बदले लाखों रुपये वसूले। ईडी के अनुसार, कटारा ने खोड़निया के करीबी अशोक जैन को दो किस्तों में ₹40 लाख दिए, जो कथित तौर पर उम्मीदवारों से वसूली गई रकम थी।
कई परीक्षाओं में पेपर लीक के आरोप
अप्रैल 2023 से जेल में बंद बाबूलाल कटारा पर
वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा
सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2021
सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने के गंभीर आरोप हैं। जांच में यह भी सामने आया कि अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में अधिक अंक दिलाने के बदले मोटी रकम ली गई।
खोड़निया ने आरोपों से किया इनकार
मामले में नाम सामने आने के बाद कांग्रेस नेता दिनेश खोड़निया ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि कटारा को आरपीएससी सदस्य बनाए जाने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। ईडी की सर्च के दौरान जब्त की गई ₹24 लाख नकद राशि भी बाद में रिलीज हो चुकी है।
शिक्षक से आयोग सदस्य तक का सफर
डूंगरपुर निवासी बाबूलाल कटारा पहले सरकारी शिक्षक और बाद में अर्थशास्त्र के व्याख्याता रहे। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सिफारिश पर उन्हें आरपीएससी का सदस्य बनाया गया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित तो किया गया, लेकिन अब तक औपचारिक रूप से बर्खास्त नहीं किया जा सका है।
भर्ती प्रणाली पर गंभीर सवाल
इस पूरे मामले ने एक बार फिर राजस्थान की भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लाखों युवाओं के भविष्य से जुड़े इन मामलों में अब सभी की नजरें अदालत और जांच एजेंसियों की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।