
बिहार ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। लखीसराय जिले के कजरा में राज्य का पहला सरकारी सौर ऊर्जा संयंत्र सफलतापूर्वक चालू हो गया है। इसके साथ ही बिहार के घरों में अब ‘सरकारी सूरज’ से बनी बिजली पहुँचने लगी है। यह परियोजना न सिर्फ राज्य की ऊर्जा जरूरतों को मजबूती देगी, बल्कि हरित और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
ऊर्जा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कजरा सौर ऊर्जा संयंत्र से बिजली निकासी के लिए 132 केवी की संरचना लाइन और 100 एमवीए, 33/132 केवी क्षमता वाले पावर ट्रांसफार्मर को सफलतापूर्वक ऊर्जान्वित कर दिया गया है। इस संयंत्र से ग्रिड उपकेंद्र हवेली खड़गपुर और ग्रिड उपकेंद्र लखीसराय को जोड़ते हुए बिजली आपूर्ति शुरू हो चुकी है।
ऊर्जा विभाग के सचिव एवं बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यह उपलब्धि बिहार स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड और बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड के निरंतर और गहन अनुश्रवण का परिणाम है। इससे क्षेत्र के उपभोक्ताओं को निरंतर, विश्वसनीय और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
बैटरी स्टोरेज से पीक आवर में भी बिजली
कजरा सौर ऊर्जा संयंत्र की सबसे बड़ी खासियत इसकी अत्याधुनिक बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली है। दिन में सौर ऊर्जा से निर्बाध बिजली आपूर्ति के साथ-साथ पीक आवर में बैटरी स्टोरेज के माध्यम से 4 से 5 घंटे तक लगातार बिजली दी जा सकेगी। अधिकारियों के अनुसार यह परियोजना देश की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा आधारित बैटरी स्टोरेज परियोजनाओं में शामिल है।
परियोजना पर हजारों करोड़ का निवेश
परियोजना के पहले चरण में करीब 1810 करोड़ रुपये की लागत से 185 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र और 254 मेगावाट आवर बैटरी स्टोरेज सिस्टम का निर्माण किया गया है। दूसरे चरण में लगभग 1055 करोड़ रुपये की लागत से 116 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र और 241 मेगावाट आवर बैटरी स्टोरेज सिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिसे जनवरी 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
परियोजना के पूर्ण होने के बाद कजरा सौर ऊर्जा संयंत्र की कुल क्षमता 301 मेगावाट और बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता 495 मेगावाट आवर हो जाएगी।
हरित बिहार की ओर मजबूत कदम
कजरा सौर ऊर्जा संयंत्र के चालू होने से बिहार में हरित ऊर्जा उत्पादन को नई गति मिलेगी। यह परियोजना न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक मजबूत आधार तैयार करेगी।