
नई दिल्ली: भारत के घरों में सोने का विशाल भंडार है, जिसकी कुल कीमत 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक पहुंच गई है। यह रकम भारत की कुल जीडीपी (4.1 ट्रिलियन डॉलर) से भी अधिक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव अब तक के रिकॉर्ड 4,550 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया है, जिससे देशवासियों के पास मौजूद सोने का मूल्य ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इन्फोमेट्रिक्स वैल्यूएशन एंड रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने बताया कि यह आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था में सोने के सांस्कृतिक, वित्तीय और मनोवैज्ञानिक महत्व को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि जीडीपी एक प्रवाह (flow) है जबकि सोने का भंडार एक स्टॉक (stock) है, इसलिए तुलना पूरी तरह सीधे नहीं की जा सकती।
गहनों में भारी हिस्सा
एमके ग्लोबल के अध्ययन के अनुसार, भारत में रखे सोने का 75-80% हिस्सा गहनों के रूप में है। पिछले 15 वर्षों में सोने की कीमतों में रैलियों का उपभोग पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। लोग सोने को लंबी अवधि की बचत और निवेश दोनों मानते हैं।
भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता
वैश्विक मांग के आंकड़ों के अनुसार, भारत सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो दुनिया की कुल मांग का 26% है। चीन पहले स्थान पर है, जिसकी हिस्सेदारी 28% है। पिछले पांच सालों में भारत में सिक्कों और बिस्कुट के रूप में सोने में खुदरा निवेश का हिस्सा 23.9% से बढ़कर 32% हो गया है।
रिजर्व बैंक की खरीदारी
भारतीय रिजर्व बैंक भी सोने की इस दौड़ में शामिल है। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने साल 2024 से अब तक लगभग 75 टन सोना खरीदा है, जिससे कुल भंडार 880 टन तक पहुंच गया है। यह भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 14% है।
निष्कर्ष:
भारत में सोने का यह विशाल भंडार सिर्फ आर्थिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और निवेश की प्राथमिकताओं का भी प्रतीक है। घरों में रखे सोने की कीमत अब देश की जीडीपी से भी आगे निकल गई है, जो भारतीय निवेशकों की सोने में विश्वास और दीर्घकालिक बचत को दर्शाता है।