Monday, December 29

जब लालू यादव तैयार थे, नीतीश कुमार क्यों नहीं चाहते बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलना?

 

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बिहार में बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग कई सालों से उठ रही है। इस स्टेशन को शीलभद्र याजी नगर नाम देने का प्रस्ताव 2005 में तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह और स्वतंत्रता सेनानी संगठनों की मांग पर रेल मंत्रालय को भेजा गया था। शीलभद्र याजी का जन्म बख्तियारपुर में हुआ था और वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सहयोगी थे।

 

当時 रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस प्रस्ताव को 2006 में गृह मंत्रालय को भेज दिया था। हालांकि, बिहार सरकार ने आवश्यक अतिरिक्त जानकारी समय पर नहीं दी, जिससे मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद 2018 में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और 2019 में भाजपा राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने फिर से इस मांग को उठाया।

 

लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। सितम्बर 2021 में जनता दरबार में उन्होंने कहा, “यह फालतू की बात है। बख्तियारपुर मेरा जन्मस्थान है, इसका नाम क्यों बदलें।”

 

बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग इसलिए भी उठती रही क्योंकि इस क्षेत्र में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय था, जिसे 1139 में तुर्क सेनापति बख्तियार खिलजी ने आक्रमण कर नष्ट कर दिया था। उस समय महान चिकित्सक शीलभद्र की भी हत्या कर दी गई थी।

 

हाल ही में नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में पूर्व राजनयिक और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्राचीन विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण ज्ञान और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है।

 

बख्तियारपुर से नालंदा विश्वविद्यालय की दूरी करीब 57 किलोमीटर है। पटना-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर स्थित यह स्टेशन, नालंदा विश्वविद्यालय जाने के लिए प्रमुख स्टेशन है।

 

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