Monday, December 29

‘तलाक-ए-हसन, दिल्ली प्रदूषण और SIR’: नए साल में सुप्रीम कोर्ट में तय होगी 8 अहम याचिकाओं की दिशा

 

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आने वाले नए साल में सुप्रीम कोर्ट कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगा, जो समाज और राजनीति दोनों के लिए गंभीर मायने रखते हैं। इनमें SIR के खिलाफ याचिकाएं, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण, बहुविवाह, हलाला और तलाक-ए-हसन जैसी प्रथाओं के खिलाफ याचिकाएं शामिल हैं। इसके अलावा दिल्ली दंगों के आरोपी की जमानत अर्जी पर भी फैसला आने की संभावना है।

 

दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण

राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर गंभीर रूप से बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अब हर महीने सुनवाई करने का निर्देश दिया है ताकि ठोस कदम उठाए जा सकें। नए साल में इस मामले में लगातार सुनवाई जारी रहेगी।

 

SIR मामला

कई राज्यों में SIR के चुनावी फैसलों की वैधता को चुनौती दी गई है। तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में विशेष रूप से इस पर याचिकाएं दायर हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की विस्तृत सुनवाई अगले साल होने वाली है।

 

एसिड अटैक मामले

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसिड अटैक अपराधी समाज और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा हैं। अगले साल इस मामले में सुनवाई की जाएगी और आरोपी पर कठोर शर्तें लागू करने पर विचार किया जाएगा।

 

तलाक-ए-हसन

इस प्रथा में मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन महीनों तक हर महीने एक बार तलाक दे सकता है। अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा था कि यह प्रथा एक सभ्य समाज के लिए स्वीकार्य नहीं है।

 

निकाह हलाला और बहुविवाह

सुप्रीम कोर्ट ने इस संवैधानिक चुनौती पर पांच जजों की विशेष बेंच के सामने सुनवाई करने का निर्णय लिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच करेगी।

 

चुनाव में मुफ्त उपहार

सुप्रीम कोर्ट ने मतदाताओं को लुभाने के लिए चुनाव में मुफ्त उपहार बांटने की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। याचिका में चुनाव आयोग को उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है।

 

उन्नाव केस

सीबीआई ने उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने सेंगर को 23 दिसंबर को जमानत दी थी, जिसे चुनौती देने के लिए सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

 

नए साल में ये मामले न केवल कानून की दिशा तय करेंगे, बल्कि समाज और राजनीति पर भी गहरा असर डालेंगे। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की निगाहें अब देश के आम नागरिकों पर भी हैं।

 

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