
देश के सबसे व्यस्त राजमार्गों में शामिल मुंबई–अहमदाबाद नेशनल हाइवे इन दिनों यात्रियों के लिए भारी मुसीबत बन गया है। पिछले चार दिनों से लगातार लग रहे भीषण ट्रैफिक जाम ने हजारों यात्रियों, ट्रक चालकों और आपात सेवाओं की रफ्तार थाम दी है। हालत यह है कि रात के समय 12 से 20 किलोमीटर लंबा जाम लग रहा है, जिसमें लोग पूरी-पूरी रात फंसे रहने को मजबूर हैं।
621 करोड़ खर्च, फिर भी सड़क बेहाल
हाइवे की मरम्मत और मजबूती के नाम पर 621 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट नजर आ रही है। वाइट टॉपिंग कार्य में कथित लापरवाही के चलते सड़क पर जगह-जगह गड्ढे उभर आए हैं, जिससे न सिर्फ जाम बढ़ रहा है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बना हुआ है।
छुट्टियों ने बढ़ाई परेशानी
क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के चलते बड़ी संख्या में लोग मुंबई और उपनगरों से बाहर जा रहे हैं, वहीं गुजरात से भी भारी संख्या में वाहन मुंबई की ओर बढ़ रहे हैं। वाहनों का यह दबाव जर्जर सड़क और अव्यवस्थित ट्रैफिक प्रबंधन के साथ मिलकर हालात को और बदतर बना रहा है।
ब्रिज का काम बना जाम की जड़
जानकारी के अनुसार, वर्सोवा खाड़ी पर बने पुराने पुल के कंक्रीटीकरण कार्य के कारण हाइवे के दोनों ओर ट्रैफिक बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। नियमों के अनुसार छुट्टियों के दौरान सड़क कार्य रोकने के निर्देश हैं, लेकिन इसके बावजूद एनएचएआई द्वारा काम जारी रखा गया, जिससे स्थिति हाथ से निकल गई।
अलग जोन भी बेअसर
ट्रैफिक सुधार के लिए पहले अलग-अलग जोन बनाए गए थे। दिन में पुलिस की तैनाती से कुछ राहत जरूर मिलती है, लेकिन रात होते ही व्यवस्था चरमरा जाती है। पूर्व पुलिस आयुक्त मधुकर पांडे की योजना भी मौजूदा हालात में नाकाफी साबित होती दिख रही है।
रात में ‘गायब’ हो जाते हैं वॉर्डन
एनएचएआई के अनुसार जाम नियंत्रण के लिए 20 से 25 ट्रैफिक वॉर्डन तैनात किए गए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों और यात्रियों का आरोप है कि रात के समय वॉर्डन नजर ही नहीं आते।
ट्रैफिक विभाग के डीसीपी अशोक वीरकर ने बताया कि करीब 50 ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात हैं और भारी वाहनों को खानीवडे टोल प्लाजा के पास रोका जा रहा है, लेकिन इसका असर सीमित ही दिख रहा है।
एम्बुलेंस से लेकर उड़ानें तक प्रभावित
इस जाम का असर सिर्फ आम यात्रियों तक सीमित नहीं है। एम्बुलेंस, बसें, ट्रक, यहां तक कि यात्रियों की ट्रेन और फ्लाइटें छूट रही हैं। लोग हताश हैं और सवाल उठा रहे हैं कि जब करोड़ों खर्च के बाद भी सड़क सुरक्षित और सुचारू नहीं बन पाई, तो जिम्मेदारी आखिर किसकी है?
मुंबई–अहमदाबाद हाइवे पर बना यह ट्रैफिक संकट एक बार फिर देश की बुनियादी ढांचागत योजनाओं, निगरानी और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।