Saturday, December 27

पनडुब्बी से परमाणु प्रहार की क्षमता, K-4 मिसाइल से पाकिस्तान में बढ़ी बेचैनी पाकिस्तानी एक्सपर्ट का दावा—भारत की ‘सेकंड स्ट्राइक’ ताकत ने बदला रणनीतिक संतुलन

 

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भारत द्वारा पनडुब्बी से दागी जाने वाली परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल K-4 के सफल परीक्षण ने पाकिस्तान के रणनीतिक हलकों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। पाकिस्तानी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिसाइल की तैनाती से भारत को ऐसी मजबूत सेकंड स्ट्राइक क्षमता मिल गई है, जिसके बाद नई दिल्ली पारंपरिक सैन्य स्तर पर अधिक आक्रामक फैसले लेने से पीछे नहीं हटेगी।

 

पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी से जुड़े रणनीतिक विशेषज्ञ और पूर्व ब्रिगेडियर डॉ. जाहिर काजमी ने भारत के इस मिसाइल परीक्षण को इस्लामाबाद की सुरक्षा के लिए “गंभीर चेतावनी” बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि आईएनएस अरिघात से K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण केवल भारत की समुद्री परमाणु ताकत का विस्तार नहीं, बल्कि क्षेत्रीय रणनीतिक संतुलन को बदलने वाला कदम है।

 

 

समंदर से परमाणु प्रतिरोध मजबूत

 

डॉ. काजमी के अनुसार, करीब 3,500 किलोमीटर रेंज वाली K-4 मिसाइल भारत को समुद्र के भीतर से परमाणु हमला करने की क्षमता देती है। इससे भारत की न्यूक्लियर ट्रायड—थल, जल और वायु आधारित परमाणु क्षमता—और ज्यादा मजबूत हो गई है।

उन्होंने कहा कि भारत अब “लगातार समुद्र में मौजूद परमाणु प्रतिरोध” (क्वासी-कंटीन्यूअस एट-सी डिटरेंस) की ओर बढ़ रहा है, जो पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है।

 

 

‘भारत ज्यादा जोखिम लेने की स्थिति में’

 

पाकिस्तानी विशेषज्ञों को डर है कि इस क्षमता के बाद भारत किसी भी संकट की स्थिति में पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास के साथ जोखिम भरे फैसले ले सकता है।

डॉ. काजमी ने लिखा कि भारत अपनी परमाणु छतरी के नीचे रहकर पारंपरिक सैन्य दबाव बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है। उन्होंने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट कार्रवाई और मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की सैन्य सोच बीते वर्षों में कहीं अधिक आक्रामक हुई है।

 

 

पनडुब्बी बेड़े से बढ़ी चिंता

 

डॉ. काजमी के मुताबिक, पाकिस्तान का डर केवल K-4 मिसाइल तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत द्वारा समुद्र में परमाणु शक्ति के विस्तार से जुड़ा है।

उनका दावा है कि भारत 2030 के दशक तक 6 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBN) और 6 परमाणु हमलावर पनडुब्बियां (SSN) तैनात करने की योजना पर काम कर रहा है। S4-क्लास की 7,000 टन वजनी पनडुब्बियां, जिनमें आईएनएस अरिधमान शामिल है, जल्द ही ऑपरेशनल हो सकती हैं।

 

 

K-4 मिसाइल की खासियतें

 

  • K-4 एक पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है

  • इसे DRDO ने स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है

  • रेंज लगभग 3,500 किमी, जिससे भारत समुद्र से पाकिस्तान और चीन के बड़े हिस्सों को निशाना बना सकता है

  • परमाणु और पारंपरिक, दोनों तरह के वारहेड ले जाने में सक्षम

  • ठोस ईंधन आधारित दो-चरणीय मिसाइल, तेजी से लॉन्च की क्षमता

  • उन्नत गाइडेंस सिस्टम के कारण बेहद सटीक मानी जाती है

 

 

हिंद महासागर में बढ़ता तनाव

 

पाकिस्तान का मानना है कि भारत की बढ़ती समुद्री परमाणु ताकत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र को अस्थिर कर सकती है। K-4 मिसाइल की रेंज न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि चीन के भी बड़े हिस्सों को कवर करती है।

इसके साथ ही भारत का अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और क्वाड जैसे मंचों के साथ बढ़ता समुद्री सहयोग भी इस्लामाबाद की चिंता बढ़ा रहा है।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के इस कदम ने दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन की बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है और आने वाले समय में क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।

 

 

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