
नई दिल्ली: 27 दिसंबर 2020 का दिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में विशेष महत्व रखता है। एडिलेड टेस्ट में केवल 36 रन पर ऑलआउट होने के बाद, कप्तान विराट कोहली के स्वदेश लौटने और मुख्य गेंदबाजों की चोटों के बीच भारतीय टीम का आत्मविश्वास डगमगा चुका था। ऐसे कठिन समय में स्टैंड-इन कप्तान अजिंक्य रहाणे ने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर मोर्चा संभाला और टीम को नई दिशा दी।
धैर्य और संयम की मिसाल
ऑस्ट्रेलिया के 195 रनों के जवाब में जब भारत ने जल्दी विकेट खो दिए, तब रहाणे ने पिच पर पैर जमाया। उन्होंने ऋषभ पंत और रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर टीम को संभाला। 78 रन पर एक छूटे हुए कैच का फायदा उठाकर रहाणे ने शानदार शतक जड़ा, जो तकनीकी रूप से मजबूत और भावनात्मक रूप से स्थिर था। इस पारी ने टीम में विश्वास और आत्मविश्वास भर दिया कि ऑस्ट्रेलिया को उनके घर में हराया जा सकता है।
टीम में ऊर्जा का संचार
अगली सुबह रहाणे 112 रन बनाकर रन-आउट हुए। इस दौरान उन्होंने जडेजा को थपथपाकर महान खेल भावना दिखाई। उनके इस जज्बे ने टीम में नई ऊर्जा भर दी। इसके बाद जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में केवल 200 रन पर रोक दिया। भारत ने 70 रनों का लक्ष्य आसानी से हासिल कर अपमानजनक हार के ठीक एक हफ्ते बाद शानदार जीत दर्ज की। इस जीत ने गाबा की ऐतिहासिक जीत और सीरीज फतह की नींव रखी।
रहाणे की अनकही विरासत
अजिंक्य रहाणे भारतीय क्रिकेट में हमेशा एक धैर्य, निस्वार्थ कप्तानी और कठिन परिस्थितियों में टीम को संभालने के प्रतीक के रूप में याद किए जाएंगे। विदेशी धरती पर उनका औसत घरेलू पिचों की तुलना में बेहतर रहा। दिलचस्प बात यह है कि जब भी रहाणे ने शतक बनाया, भारत ने टेस्ट मैच नहीं खोया और उनकी कप्तानी में टीम अजेय रही।
रहाणे की विरासत केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके धैर्य, खेल भावना और टीम को कठिन समय में संभालने की क्षमता में निहित है। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए रहाणे हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।