
राजस्थान की राजधानी जयपुर में शुक्रवार को एनएसयूआई की ओर से निकाले गए ‘अरावली बचाओ–भविष्य बचाओ’ पैदल मार्च ने राजनीतिक और पर्यावरणीय हलकों में खास चर्चा बटोरी। इस मार्च की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने बेटे आरान पायलट के साथ पहली बार किसी सार्वजनिक राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल हुए।
जालूपुरा से गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहे तक पैदल मार्च
एनएसयूआई के इस पैदल मार्च की शुरुआत जालूपुरा से हुई, जो गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहे तक पहुंचा। मार्च के दौरान अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर जोरदार नारेबाजी की गई। चौराहे पर कुछ देर रुकने के बाद सचिन पायलट सहित सभी नेता और कार्यकर्ता लौट गए।
कौन हैं आरान पायलट?
आरान पायलट, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और सारा पायलट के बड़े बेटे हैं। उनके छोटे भाई का नाम विहान पायलट है। दोनों ही आमतौर पर सार्वजनिक मंचों और राजनीतिक कार्यक्रमों से दूर रहते हैं और अपनी पढ़ाई में व्यस्त हैं। यही वजह है कि आरान पायलट की इस मार्च में मौजूदगी को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक माना जा रहा है।
अरावली को बताया उत्तर भारत का ‘सुरक्षा कवच’
मार्च के दौरान सचिन पायलट ने अरावली पर्वतमाला को उत्तर भारत के लिए सुरक्षा कवच बताते हुए उसके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अरावली न केवल रेगिस्तान के फैलाव को रोकती है, बल्कि मानसून, जल संरक्षण, खेती, पशुपालन और पर्यावरण संतुलन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अरावली का क्षरण आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
कई नेता और कार्यकर्ता रहे मौजूद
इस पैदल मार्च में सचिन पायलट के साथ विधायक रफीक खान, अमीन कागजी, मनीष यादव और रामनिवास गावड़िया सहित एनएसयूआई के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। मार्च को युवाओं और पर्यावरण प्रेमियों का अच्छा समर्थन मिला।
युवा भागीदारी का संकेत
पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दे पर आरान पायलट की उपस्थिति को राजनीति में युवा भागीदारी और नई सोच के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह मार्च न केवल अरावली के संरक्षण का संदेश लेकर आया, बल्कि भविष्य की पीढ़ी की चिंता को भी सामने रख गया।