
गुजरात में विधानसभा चुनाव भले ही अभी दूर हों, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने 2027 के चुनावी रोडमैप पर काम शुरू कर दिया है। मंत्रिमंडल के बाद अब मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में बड़े प्रशासनिक बदलाव कर दिए गए हैं। नए साल से पहले सीएमओ को नई टीम मिलने को गवर्नेंस और चुनावी तैयारी—दोनों नजरियों से अहम कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के दूसरे कार्यकाल के तीन साल पूरे होने के बाद यह फेरबदल हुआ है, जिसे नए मुख्य सचिव एम. के. दास की टीम के रूप में देखा जा रहा है। प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह टीम अगले दो वर्षों तक सरकार के कामकाज की दिशा तय करेगी।
एम. के. दास बने सिस्टम के केंद्र में
गुजरात कैडर के वरिष्ठतम आईएएस अधिकारी एम. के. दास (1990 बैच) को पंकज जोशी के बाद मुख्य सचिव बनाया गया है। बिहार के दरभंगा में जन्मे एम. के. दास ने आईआईटी खड़गपुर से बीटेक ऑनर्स किया और बाद में सिविल सेवा में आकर गुजरात कैडर चुना। उनके मुख्य सचिव बनने के बाद सीएमओ में नई टीम का गठन किया गया है।
संजीव कुमार बने मुख्यमंत्री के नए ‘पावर सेंटर’
आईएएस संजीव कुमार (1998 बैच) को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का नया प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है। सीएमओ में उन्हें सबसे प्रभावशाली पद माना जा रहा है। वन एवं पर्यावरण विभाग में प्रधान सचिव रह चुके संजीव कुमार अब मुख्यमंत्री कार्यालय का नेतृत्व करेंगे। राजनीतिक हलकों में उन्हें सीएमओ का नया पावर सेंटर कहा जा रहा है।
विक्रांत पांडेय को बड़ी जिम्मेदारी, छवि प्रबंधन की कमान
आईएएस डॉ. विक्रांत पांडेय (2005 बैच) के कद को बढ़ाते हुए उन्हें एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाया गया है। साथ ही उन्हें सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। सरकार की छवि निर्माण और संचार रणनीति अब उनके हाथों में होगी। हिंदी माध्यम से पढ़ाई कर एमबीबीएस और फिर आईएएस बने पांडेय हाल ही में दिल्ली में गुजरात भवन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
डॉ. अजय कुमार की सीएमओ में एंट्री
केंद्र की प्रतिनियुक्ति से लौटे आईएएस डॉ. अजय कुमार (2006 बैच) को सीएमओ में सचिव बनाया गया है। कृषि में पीएचडी कर चुके अजय कुमार को फिलहाल अतिरिक्त प्रभार भी दिए गए हैं। संभावना जताई जा रही है कि आगामी तबादला सूची में उन्हें अन्य जिम्मेदारियों से मुक्त कर पूरी तरह सीएमओ पर फोकस कराया जाएगा।
‘दादा’ को मजबूत करने की रणनीति
गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को आम तौर पर ‘दादा’ कहा जाता है। सीएमओ में यह बड़ा बदलाव उन्हें प्रशासनिक तौर पर और मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। भूपेंद्र पटेल चार साल पूरे करने के बावजूद व्यक्तिगत रूप से निर्विवादित मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
प्रधान सचिव को गृह विभाग का चार्ज, विक्रांत पांडेय को सूचना विभाग, और दिल्ली से लौटे दो वरिष्ठ अधिकारियों की सीएमओ में तैनाती—इन सभी कदमों को तेज निर्णय प्रक्रिया, बेहतर गवर्नेंस और केंद्र से मजबूत समन्वय की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।
2027 की तैयारी का साफ संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीएमओ का यह पुनर्गठन स्पष्ट संकेत देता है कि बीजेपी अब चुनावी मोड में आ चुकी है। प्रशासनिक मजबूती, संदेश नियंत्रण और तेज गवर्नेंस के जरिए पार्टी 2027 से पहले अपने प्रदर्शन को और धार देने की तैयारी में है।