
नई दिल्ली: असम के हिंसाग्रस्त कार्बी आंगलोंग और वेस्ट कार्बी आंगलोंग में 25 वर्षीय दिव्यांग सूरज डे की मौत के बाद बुधवार को हालात फिर बिगड़ गए। तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सेना की टुकड़ियों को उतारा गया और फ्लैग मार्च कर लोगों में विश्वास बहाल करने का प्रयास किया गया। राज्य पुलिस प्रमुख के अनुसार अब स्थिति नियंत्रण में है, और जनता से शांति बनाए रखने की अपील की गई है।
हिंसा में दो मौतें और कई घायल
हिंसा में दिव्यांग सूरज डे समेत दो लोगों की मौत हुई। दूसरे मृतक की पहचान स्थानीय कार्बी समुदाय के चिंगथी तिमुंग के रूप में हुई, जिन्हें पुलिस की गोली लगी। डीजीपी हरमीत सिंह के अनुसार, इस दौरान 60 से अधिक पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
हिंसा का कारण
मौजूदा तनाव की शुरुआत वेस्ट कार्बी आंगलोंग के फेलंगपी में दो सप्ताह से चल रही भूख हड़ताल से हुई। यह हड़ताल नौ लोगों ने शुरू की थी, जो कार्बी आंगलोंग ऑटोनोमस काउंसिल (KAAC) के चारागाहों (PGR और VGR) से कथित अतिक्रमणकारियों को हटाने की मांग कर रहे थे। स्थानीय कार्बी आदिवासी इन जमीनों पर अवैध बसावट को लेकर लंबे समय से असंतुष्ट हैं। इन अतिक्रमणकारियों में अधिकांश बिहारी, बंगाली और नेपाली मूल के लोग हैं, जिन्होंने दावा किया है कि वे दशकों से यहां रह रहे हैं।
सेना की भूमिका और सुरक्षा इंतजाम
सेना की फ्लैग मार्च और असम पुलिस व सीआरपीएफ की अतिरिक्त तैनाती के बाद हालात नियंत्रण में हैं। तनाव को देखते हुए मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं।
कार्बी समुदाय और इतिहास
कार्बी समुदाय असम का प्रमुख आदिवासी समूह है। 1980 के दशक से इनके कुछ समूहों ने अलग राज्य बनाने की मांग की थी। चारागाहों पर बाहरी बसावट ही मौजूदा हिंसा की प्रमुख वजह है।
गुवाहाटी हाई कोर्ट में लंबित मामला
2024 में KAAC ने कथित गैरकानूनी अतिक्रमण हटाने की घोषणा की थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया। इस बार हिंसक प्रदर्शनकारियों ने KAAC के एग्जिक्यूटिव मेंबर तुलीराम रोंघंग का पुश्तैनी घर भी जला दिया। मामला अभी गुवाहाटी हाई कोर्ट में लंबित है।
सरकार और प्रशासन की अपील
असम सरकार ने सभी स्तरों पर सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिए हैं और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।