Tuesday, December 23

On This Day 1972: दिव्यांग गेंदबाज भगवत चंद्रशेखर का इतिहास, जो आज तक नहीं टूटा

 

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नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट की मशहूर स्पिन चौकड़ी में शुमार लेग स्पिनर भगवत चंद्रशेखर का दायां हाथ बचपन में ही पोलियो की चपेट में आ गया था। लेकिन इस कमजोरी ने उन्हें कमजोर नहीं बल्कि असाधारण बना दिया। अपने कमजोर हाथ से ही चंद्रशेखर ने ऐसी तेज और छलकद स्पिन गेंदबाजी की कि दुनिया के बड़े बल्लेबाज भी कांपते थे।

 

23 दिसंबर, 1972: बेस्ट टेस्ट परफॉर्मेंस

दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में भारत-इंग्लैंड टेस्ट मैच के तीसरे दिन चंद्रशेखर ने इतिहास रच दिया। पहले दिन टीम इंडिया 173 रन पर ऑल आउट हो गई थी, लेकिन चंद्रशेखर ने 41.5 ओवर में महज 79 रन देकर 8 विकेट चटकाए। यह उनका करियर का बेस्ट बॉलिंग परफॉर्मेंस रहा और तब तक किसी भारतीय गेंदबाज के लिए यह रिकॉर्ड अद्वितीय था।

 

हालांकि इस मैच को इंग्लैंड ने जीत लिया, लेकिन चंद्रशेखर की जादुई गेंदबाजी ने सीरीज में भारत को जीत दिलाई। अगले मैचों में उनकी मदद से भारत ने 2-1 से सीरीज जीती, और चंद्रशेखर ने कुल 35 विकेट लेकर भारतीय क्रिकेट में अपना नाम अमर कर दिया। यह आज तक किसी भारतीय गेंदबाज द्वारा एक टेस्ट सीरीज में लिया गया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

 

अनूठी शैली और ऐतिहासिक पल

चंद्रशेखर पारंपरिक लेग स्पिनर नहीं थे। वे फ्लाइट के बजाय गेंद की तेजी और घुमाव पर यकीन करते थे। इसी कला ने उन्हें 1971 में द ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ और 1978 में मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत दिलाने में मदद की। अपने 58 टेस्ट मैचों के करियर में उन्होंने 242 विकेट चटकाए, जिनमें 5 विकेट की पारी 16 बार और 10 विकेट की मैच प्रदर्शन 2 बार दर्ज हैं।

 

चंद्रशेखर आज भी भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा हैं—एक दिव्यांग खिलाड़ी जिसने अपनी कमजोरी को ताकत में बदलकर इतिहास रच दिया।

 

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