
नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए भारत सरकार उत्तराखंड में 32 किलोमीटर लंबी नई सीमा सड़क बनाने जा रही है। यह सड़क नीला पानी से मूलिंग ला पास तक जाएगी और सीधे भारत-तिब्बत सीमा तक पहुंचेगी। इस परियोजना पर सीमा सड़क संगठन (BRO) काम कर रहा है और इसका अनुमानित खर्च 104 करोड़ रुपये है।
1600 फीट की ऊंचाई पर चीन को झटका
मूलिंग ला एक दुर्गम पहाड़ी दर्रा है, जो लगभग 16,134 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है और सीमाओं पर भारतीय जवानों की गश्त के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वर्तमान में इस रास्ते पर गश्त करने में सैनिकों को कम से कम पांच दिन लगते हैं, जबकि नई सड़क बनने के बाद यह सफर केवल कुछ घंटों में पूरा हो सकेगा।
रणनीतिक फायदे
- तत्काल रसद और सैनिक तैनाती: सड़क बनने से हथियार और सेना की टुकड़ियां तुरंत सीमा पर पहुंच सकेंगी।
- चीनी गतिविधियों पर नजर: मूलिंग ला बेस पर भारत की मजबूत पकड़ से चीनी सेना की हर गतिविधि भारतीय रडार और जवानों की नजर में रहेगी।
- शीतकालीन सुरक्षा: सर्दियों में भारी बर्फबारी के दौरान संपर्क कटने की समस्या कम होगी और सीमा अधिक समय तक सक्रिय रहेगी।
सुरक्षा और रणनीति में बड़ा बदलाव
1962 के युद्ध के बाद यह इलाका रणनीतिक रूप से पिछड़ा रहा, लेकिन अब भारत की नई नीति ‘जैसे को तैसा’ के तहत चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार का जवाब दे रही है। BRO ने सड़कों के निर्माण के लिए कंसल्टेंसी और तकनीकी सर्वे पूरी कर ली है और काम जल्द शुरू होगा।
निष्कर्ष:
नई सड़क न केवल भारत की सैन्य तैयारियों को तेज करेगी बल्कि सीमा पर नियंत्रण और चीन की हरकतों पर नजर रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह प्रोजेक्ट भारतीय सुरक्षा और रणनीति के लिए एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।