पौड़ी गढ़वाल।
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में पुलिस प्रशासन के भीतर उस समय हलचल मच गई, जब गढ़वाल रेंज के आईजी राजीव स्वरूप ने एसएसपी सर्वेश पंवार द्वारा जारी किए गए बड़े पैमाने पर तबादला आदेशों को रद्द कर दिया। यह फैसला रविवार देर रात लिया गया, जिसके बाद इसे दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के बीच टकराव के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पौड़ी गढ़वाल जिले में लंबे समय से एक ही स्थान पर तैनात कॉन्स्टेबल से लेकर सब–इंस्पेक्टर (SI) स्तर तक के सैकड़ों पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण आदेश एसएसपी सर्वेश पंवार ने जारी किए थे। इतने बड़े पैमाने पर हुए तबादलों को लेकर मामला जल्द ही आईजी स्तर तक पहुंच गया।
मामले की समीक्षा के बाद आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने एसएसपी के आदेश को पुलिस एक्ट का उल्लंघन करार देते हुए रद्द कर दिया। आईजी के इस फैसले ने पुलिस महकमे में नई बहस छेड़ दी है।
आईजी के आदेश से बढ़ी चर्चा
आईजी राजीव स्वरूप द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद प्रशासनिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। जानकारों का मानना है कि बिना उच्च स्तर की अनुमति के इतने व्यापक तबादले करना नियमों के खिलाफ है। इसी आधार पर आईजी ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए आदेश निरस्त किया।
कौन हैं IPS राजीव स्वरूप
आईजी राजीव स्वरूप 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में गढ़वाल रेंज की कमान संभाल रहे हैं। उन्हें एक तेजतर्रार और सख्त प्रशासक के रूप में जाना जाता है।
पिछले वर्ष दिसंबर में गढ़वाल रेंज की जिम्मेदारी संभालने के बाद उन्होंने—
- शीतकालीन चारधाम यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था
- राष्ट्रीय खेलों के दौरान कानून-व्यवस्था
- नशीली दवाओं की तस्करी पर सख्ती
- यातायात नियमों के उल्लंघन पर कड़ा रुख
जैसे अहम मुद्दों को प्राथमिकता दी। अब पौड़ी एसएसपी के तबादला आदेश रद्द करने के बाद वे एक बार फिर सुर्खियों में हैं।
कौन हैं SSP सर्वेश पंवार
एसएसपी सर्वेश पंवार 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्हें प्रदेश के जेंटलमैन अफसरों में गिना जाता है। इससे पहले वे देहरादून में एसपी क्राइम और ट्रैफिक के पद पर तैनात रह चुके हैं।
अक्टूबर 2025 में पौड़ी गढ़वाल की कमान संभालने के बाद उन्होंने जिले की पुलिसिंग व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन उनका तबादला आदेश आईजी स्तर पर टिक नहीं पाया।
देहरादून तक पहुंच सकता है मामला
सूत्रों के अनुसार, पुलिस अधिकारियों के तबादलों को लेकर यह विवाद अब देहरादून तक पहुंच सकता है। दो आईपीएस अधिकारियों के बीच प्रशासनिक मतभेद की चर्चाएं तेज हैं और आगे होने वाली कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
निष्कर्ष
गढ़वाल रेंज में हुआ यह घटनाक्रम न सिर्फ पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि नियमों और अधिकार क्षेत्र को लेकर शीर्ष स्तर पर कितनी सख्ती बरती जा रही है। आने वाले दिनों में इस मामले में सरकार और पुलिस मुख्यालय की भूमिका अहम मानी जा रही है।