
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी थी। कई लोगों को लगा था कि इससे बीजेपी को मिलने वाले चंदे में कमी आएगी। लेकिन इसके उलट 2024-25 में बीजेपी के खजाने में और भी ज्यादा धनराशि आई। केवल इलेक्टोरल ट्रस्ट (ET) के जरिए पार्टी को 3,577 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला।
बीजेपी को मिला सबसे बड़ा हिस्सा
चुनाव आयोग की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक, इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए 2024-25 में कुल 4,276 करोड़ रुपये का चंदा मिला। इसमें से 83.6% यानी सबसे बड़ा हिस्सा बीजेपी के खाते में गया। यह पिछले साल की तुलना में चार गुना से भी ज्यादा है। कांग्रेस को 7.3% और तृणमूल कांग्रेस को 3.6% चंदा मिला।
कौन से ट्रस्ट से कितना मिला
बीजेपी को सबसे अधिक चंदा ‘प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट’ (Prudent ET) से मिला—2,180.7 करोड़ रुपये। इसके अलावा:
- ‘प्रोग्रेसिव ईटी’ से 757.6 करोड़ रुपये
- ‘ए बी जनरल ईटी’ से 460 करोड़ रुपये
- ‘न्यू डेमोक्रेटिक ईटी’ से 150 करोड़ रुपये
- अन्य ट्रस्टों से 59.85 करोड़ रुपये
कुल मिलाकर, इलेक्टोरल ट्रस्टों से बीजेपी का फायदा चारों तरफ स्पष्ट है।
अन्य पार्टियों का हाल
कांग्रेस को 2024-25 में ट्रस्टों से कुल 313 करोड़ रुपये मिले। इसमें से 216.3 करोड़ रुपये प्रूडेंट ET से आए। तृणमूल कांग्रेस को 153.5 करोड़ रुपये ट्रस्टों से मिले। बीजद और बीआरएस को भी ट्रस्टों से मिलने वाले चंदे में भारी कमी देखी गई।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड बंद होने के बाद भी बीजेपी को भारी चंदा मिलने से साफ होता है कि कॉर्पोरेट जगत अब भी पार्टियों को गुमनाम तरीके से चंदा देने के लिए नए रास्ते तलाश रहा है। इस बार भी अधिकांश धनराशि बीजेपी के पक्ष में गई, जबकि अन्य पार्टियों को इसका लाभ बहुत कम मिला।
निष्कर्ष
इलेक्टोरल बॉन्ड के बंद होने के बावजूद बीजेपी की चंदा राशि में इजाफा, उसकी संगठन क्षमता और राजनीतिक मजबूती का संकेत देता है। इलेक्टोरल ट्रस्टों के जरिए लगातार बड़ी धनराशि प्राप्त करना पार्टी की वित्तीय स्थिति को मजबूत करता है और आगामी चुनावों में रणनीतिक बढ़त देने में सहायक है।