
नई दिल्ली: भारत को 2047 तक विकसित देश बनने का सपना देखना तो अच्छा है, लेकिन इसके लिए लगातार 8% से अधिक की आर्थिक वृद्धि की आवश्यकता होगी। यह चेतावनी आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने दी है।
सुब्बाराव ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति आय वर्तमान में लगभग 2,700 डॉलर है। 2047 तक इसे विकसित देशों के लगभग 21,700 डॉलर के स्तर तक पहुंचाने के लिए लंबे समय तक सालाना करीब 8% या उससे अधिक की ग्रोथ की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, “जब से आर्थिक सुधार शुरू हुए हैं, भारत ने आठ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि केवल कुछ ही सालों में हासिल की है और वह भी लगातार नहीं।”
निजी निवेश की कमी बड़ी चुनौती
पूर्व गवर्नर ने निजी निवेश की कमी को सबसे बड़ी बाधा बताया। उन्होंने कहा कि अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय अभी भी कम है। इसके चलते नौकरियों का सृजन और घरेलू आय जीडीपी की वृद्धि से पीछे चल रही है। सुब्बाराव ने चेतावनी दी कि ऐसी विकास दर जो विस्तृत समृद्धि में तब्दील न हो, टिकाऊ नहीं हो सकती।
बैंकिंग सुधारों की जरूरत
सुब्बाराव ने बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की भी जरूरत पर जोर दिया। उनका कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मौजूद संरचनात्मक समस्याएं क्रेडिट एफिशिएंसी को सीमित कर रही हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकारी बैंकों को कंपनी अधिनियम के तहत लाना और बोर्डों को मजबूत करना सुधार में मदद कर सकता है। लेकिन जब तक सरकार प्रमुख मालिक रहेगी, तब तक बड़े बदलाव मुश्किल होंगे।
विकास केवल संख्याओं तक सीमित नहीं
पूर्व गवर्नर ने यह भी स्पष्ट किया कि विकास केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “विकसित देश सिर्फ संख्याओं के बारे में नहीं हैं, बल्कि यह इस बारे में है कि विकास के लाभ व्यापक रूप से समाज में साझा किए जाएं।”
सुब्बाराव ने आगाह किया कि मजबूत निजी निवेश, गहरे बैंकिंग सुधार और सार्थक रोजगार सृजन के बिना भारत अपने दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को हासिल करने में चूक सकता है। उनके मुताबिक, समस्या केवल कानूनों या नियमों की नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संस्कृति और प्रोत्साहन में निहित है।