
नई दिल्ली: चीन ने भारत को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में घसीट दिया है। चीन ने भारत के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ और सौर ऊर्जा क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर नई याचिका दायर की है। चीन का आरोप है कि भारत के ये कदम WTO के नियमों का उल्लंघन करते हैं और उसके घरेलू उद्योगों को अनुचित लाभ पहुंचा रहे हैं।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि भारत की यह नीति “नेशनल ट्रीटमेंट” के सिद्धांत का उल्लंघन करती है, जिसके तहत सभी देशों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए। मंत्रालय के प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि ये उपाय चीन की कीमत पर भारत के घरेलू उद्योगों को लाभ पहुंचा रहे हैं और इसके चलते चीन के आर्थिक हितों को नुकसान हो रहा है। चीन ने भारत से WTO नियमों का पालन करने और इन नीतियों में तुरंत सुधार करने की अपील की है।
यह भारत के खिलाफ चीन की इस साल की दूसरी WTO याचिका है। अक्टूबर में चीन ने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और बैटरी सेक्टर में दी जा रही सब्सिडी को लेकर भी शिकायत दर्ज कराई थी। उस समय भी चीन का कहना था कि भारत की सब्सिडी उसके बाजार को नुकसान पहुंचा रही है।
चीन पहले भी कई देशों के खिलाफ WTO का सहारा ले चुका है। अमेरिका के स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ और यूरोपीय संघ में चीनी उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क को लेकर चीन ने पहले शिकायतें दर्ज कराई थीं। इससे साफ है कि चीन अंतरराष्ट्रीय व्यापार में किसी भी अनुचित या भेदभावपूर्ण प्रथा को छोड़ने को तैयार नहीं है।
विश्लेषक कहते हैं: “चीन की यह रणनीति उसकी वैश्विक व्यापार पकड़ मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा है, और भारत को अपनी नीतियों का संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।”