
नई दिल्ली: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लीजहोल्ड प्रॉपर्टी खरीदना आम बात है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आवंटन के बाद सरकार या अथॉरिटी अतिरिक्त लीज रेंट या फीस मांग सकती है या नहीं? हाल ही में राजस्थान में एक कोर्ट फैसले ने इस सवाल का स्पष्ट जवाब दिया है और खरीदारों के हक में नजीर पेश की है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने बताया कि अगर लीजहोल्ड प्रॉपर्टी के लिए एकमुश्त प्रीमियम पर सहमति हुई है और लीज डीड में कोई आवर्ती किराया (वार्षिक रेंट) तय नहीं किया गया है, तो सरकार या अथॉरिटी बाद में एकतरफा तरीके से कोई अतिरिक्त किराया नहीं मांग सकती। यह तब तक मान्य होगा जब तक लीज डीड में ऐसा अधिकार स्पष्ट रूप से न लिखा हो या दोनों पक्ष मिलकर नया समझौता न करें।
लीजहोल्ड प्रॉपर्टी की बारीकियां
लीज एग्रीमेंट आमतौर पर 90 या 99 साल की अवधि के लिए होता है। इस दौरान प्रॉपर्टी का उपयोग पट्टेदार करता है और समय खत्म होने पर यह वापस सरकार को लौटानी होती है, जब तक कि फ्रीहोल्ड में बदलने की अनुमति न मिल जाए। नोएडा अथॉरिटी आमतौर पर दो विकल्प देती है:
- सालाना लीज रेंट (जिसे आवधिक वृद्धि के अधीन बढ़ाया जा सकता है)
- एकमुश्त लीज रेंट (OTLR) – इस विकल्प में शेष अवधि के लिए कोई और सालाना किराया नहीं लिया जाता
स्क्वायर यार्ड्स के सुधांशु मिश्रा के अनुसार, यदि लीज डीड में आवधिक वृद्धि या नए शुल्क का प्रावधान नहीं है, तो आवंटन के बाद किसी भी अतिरिक्त रेंट या शुल्क को लागू करना कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं होता।
राजस्थान का केस: खरीदारों को बड़ी राहत
राजस्थान सरकार ने 99 साल के लीजहोल्ड प्लॉट के लिए नीलामी के तीन साल बाद लीज रेंट बढ़ाने की कोशिश की, जिसमें बाजार मूल्य का 5% वार्षिक किराया और आवधिक वृद्धि तय करने का दबाव डाला गया। अदालत ने इसे रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि लीजहोल्ड प्रॉपर्टी में आवंटन के समय तय शर्तें ही अंतिम मानी जाती हैं।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
लीजहोल्ड प्रॉपर्टी के मामलों में खरीदारों को हमेशा लीज डीड की हर शर्त ध्यान से पढ़नी चाहिए। स्क्वायर यार्ड्स के मिश्रा और खान ने बताया कि सरकारी अथॉरिटी भी अनुबंध की शर्तों से बंधी होती है और एकतरफा वित्तीय दायित्व नहीं बढ़ा सकती।
निष्कर्ष:
नोएडा में निवेश करने वाले हर खरीदार के लिए यह मामला एक महत्वपूर्ण सबक है। लीजहोल्ड प्रॉपर्टी में एकमुश्त प्रीमियम भुगतान पर सहमति और लीज डीड की स्पष्ट शर्तें ही आपकी सुरक्षा हैं। अतिरिक्त शुल्क या सालाना रेंट की मांग केवल तभी वैध होगी जब यह लीज डीड में स्पष्ट रूप से वर्णित हो या आपसी सहमति से संशोधित किया गया हो।