
भारतीय प्रवासियों के लिए खुशखबरी, बिल C-3 लागू
कनाडा ने अपने नागरिकता नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब विदेश में पैदा हुए या गोद लिए गए बच्चों को भी कनाडाई नागरिकता हासिल करने का रास्ता खुल गया है। यह कदम भारतीय प्रवासियों और उनके परिवारों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित होगा।
कनाडा सरकार ने बिल C-3 को 15 दिसंबर से लागू कर दिया है। इस कानून के तहत अब फर्स्ट-जेनरेशन की सीमा या पुराने नियमों के कारण नागरिकता से वंचित किए गए योग्य व्यक्ति अपने आप कनाडाई नागरिक मान्य होंगे। इसके साथ ही यह बिल योग्य व्यक्तियों को नागरिकता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने का अधिकार भी देता है।
नए नियमों से क्या बदलाव आएगा?
नए नियम के अनुसार, यदि कनाडाई माता-पिता विदेश में रहते हुए या गोद लिए गए बच्चों के माता-पिता हैं, तो अब उनके बच्चों को भी कनाडाई नागरिकता दी जा सकेगी। हालांकि इसके लिए शर्त यह है कि माता-पिता को बच्चे के जन्म या गोद लेने से पहले कनाडा में कम से कम तीन साल (1095 दिन) तक शारीरिक रूप से उपस्थित होना चाहिए।
इस बदलाव से कनाडा की नागरिकता नीति अब वंश के आधार पर अधिक उदार और आधुनिक मानी जाएगी। यह नियम केवल पहली पीढ़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तहत आगे की पीढ़ियों के लिए भी पात्रता का दायरा बढ़ा दिया गया है।
बिल C-3 क्यों लाना पड़ा जरूरी?
बिल C-3 की जरूरत 2009 में लागू फर्स्ट-जेनरेशन लिमिट की वजह से पड़ी थी। पहले यह नियम विदेश में जन्मे उन कनाडाई बच्चों को नागरिकता से वंचित करता था जिनके माता-पिता स्वयं कनाडा में पैदा नहीं हुए थे या जिन्हें नागरिकता जन्म से पहले नहीं मिली थी।
साल 2023 में ओंटारियो सुपीरियर कोर्ट ऑफ जस्टिस ने इस सीमा को असंवैधानिक ठहराया। इसके बाद संघीय सरकार ने अपील न करने का निर्णय लिया और बिल C-3 को लागू कर विदेश में रहने वाले कनाडाई नागरिकों के बच्चों के अधिकारों को बहाल किया।
कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी परिवार रहते हैं, और इस कदम से उनके लिए नागरिकता हासिल करना अब आसान और कानूनी रूप से सुरक्षित हो गया है।