
वॉशिंगटन / नई दिल्ली: दिसंबर 2025 में अंतरिक्ष से एक रहस्यमय खतरा तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। इसका नाम है धूमकेतु 3I/ATLAS, जो 19 दिसंबर को पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचेगा। यह धूमकेतु इतनी गंभीर चिंता का विषय है कि न सिर्फ NASA और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां, बल्कि संयुक्त राष्ट्र का इंटरनेशनल एस्टेरॉयड वार्निंग नेटवर्क (IAWN) भी इसकी निगरानी कर रहा है।
धूमकेतु 3I/ATLAS पृथ्वी से लगभग 167 मिलियन मील (270 मिलियन किलोमीटर) की दूरी पर होगा। इसे दुनिया भर के टेलीस्कोपों से लगातार ट्रैक किया जा रहा है, ताकि खगोलविद इसकी स्थिति और गति का सही अनुमान लगा सकें और भविष्य में ऐसे ऑब्जेक्ट्स के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित की जा सके।
IAWN का अभियान
IAWN ने 3I/ATLAS के ऑब्ज़र्विंग कैंपेन का आधा काम पूरा कर लिया है और अगले साल इसे पीयर-रिव्यूड जर्नल में प्रकाशित करने की योजना है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरीलैंड के एस्ट्रोनॉमी विभाग के प्रोफेसर जेम्स बाउर ने बताया कि इस नेटवर्क में दुनिया भर की 80 से अधिक ऑब्जर्वेटरी और सिटिजन साइंटिस्ट्स शामिल हैं। ये वैज्ञानिक पृथ्वी के पास आने वाले धूमकेतु और एस्टेरॉयड पर सक्रिय रूप से शोध कर रहे हैं।
नई तकनीक से होगी ट्रैकिंग
धूमकेतु के रास्ते को ट्रैक करने के लिए नई एस्ट्रोमेट्री तकनीक का परीक्षण किया जा रहा है। इससे भविष्य में ऐसे अंतरस्टेलर ऑब्जेक्ट्स पर स्पेसक्राफ्ट मिशन भेजने में मदद मिलेगी।
चुनौतियां और विशेषताएं
धूमकेतु की स्थिति मापने में कई चुनौतियां हैं। बदलती चमक, कोमा में बदलाव और धूल व गैस का बादल धूमकेतु के न्यूक्लियस और पूंछ के चारों ओर फैलता है, जिससे उसके वास्तविक आकार और स्थान का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। बाउर ने बताया कि सौभाग्य से 3I/ATLAS सौर मंडल के बाहर से आने के बावजूद क्लासिक धूमकेतु जैसा व्यवहार कर रहा है।
वैज्ञानिक सतर्कता
इस व्यापक ट्रैकिंग अभियान का उद्देश्य सिर्फ खतरे का अंदाजा लगाना ही नहीं, बल्कि पृथ्वी और अन्य ग्रहों के लिए भविष्य में संभावित खतरों से निपटने की तैयारी करना भी है।