
कीव / नई दिल्ली: यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने पश्चिमी सुरक्षा गारंटी के बदले NATO सदस्यता की कोशिश छोड़ने की बात कही है। जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि कीव अमेरिका और यूरोप से NATO के आर्टिकल 5 जैसी वैकल्पिक सुरक्षा गारंटी चाहता है, ताकि रूस के संभावित हमलों से बचाव हो सके। यह फैसला रूस के साथ युद्ध समाप्त करने की बातचीत के बीच आया है और इसे एक बड़े रणनीतिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
जेलेंस्की ने क्या कहा
जेलेंस्की ने अमेरिकी और यूरोपीय नेताओं के साथ बैठक से पहले पत्रकारों को ऑडियो संदेश में बताया कि, “शुरू से ही यूक्रेन की इच्छा NATO में शामिल होने की थी, लेकिन अमेरिका और कुछ यूरोपीय सहयोगियों ने इसे पूरी तरह समर्थन नहीं दिया। अब हमारा मकसद द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सुरक्षा गारंटी हासिल करना है, जो रूसी आक्रामकता को रोकने में मदद करेगी।”
NATO की आर्टिकल 5 जैसी गारंटी नहीं
उन्होंने यह भी कहा कि इन नई सुरक्षा गारंटियों से रूस के हमलों को रोकने का एक मौका मिलेगा। हालांकि ये NATO के आर्टिकल 5 जैसी संपूर्ण सामूहिक सुरक्षा गारंटी नहीं होंगी। NATO में शामिल होने के बजाय, यूक्रेन को अमेरिका और प्रमुख यूरोपीय शक्तियों से विशेष सुरक्षा गारंटी मिलेगी, जिसमें सेना, हथियार, इंटेलिजेंस और वित्तीय मदद शामिल हो सकती है।
अमेरिका और यूरोपीय प्रतिक्रिया
अमेरिका ने इस प्रस्ताव को लेकर सतर्क समर्थन व्यक्त किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और जेरेड कुशनर ने बताया कि इस योजना में काफी प्रगति हुई है। जेलेंस्की ने कहा कि ये सुरक्षा गारंटी कानूनी रूप से बाध्यकारी होंगी और तुरंत कार्यान्वयन योग्य होंगी।
रणनीतिक मायने
विशेषज्ञों के अनुसार, NATO की सदस्यता छोड़ना जेलेंस्की की तरफ से रूस के साथ वार्ता में रियायत माना जा सकता है। इसके बावजूद पश्चिमी गारंटी मिलने पर, यूक्रेन को संभावित हमलों से बचाने में मदद मिलेगी। यह फैसला रूस-यूक्रेन युद्ध में एक नया मोड़ और पश्चिमी देशों की भूमिका को परिभाषित करने वाला कदम माना जा रहा है।