Wednesday, December 10

दुनिया के दुर्लभ खनिज पर म्यांमार में जंग, QUAD की एंट्री से भारत बना पावर प्लेयर

नेपीडॉ/नई दिल्ली: दुनिया में दुर्लभ खनिजों के लिए वैश्विक शक्तियों के बीच पॉवर गेम तेज होता जा रहा है। म्यांमार, जो भारत, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के ट्राइजंक्शन पर बसा है, अब इस मुकाबले का नया अखाड़ा बन गया है। QUAD देशों—भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान—की एंट्री ने चीन के प्रभुत्व को चुनौती दी है।

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म्यांमार में दुनिया की सबसे दुर्लभ खनिज संपदा पाई जाती है, जिसमें डिस्प्रोसियम जैसे मिनरल शामिल हैं। ये उच्च तकनीक वाले हथियार, इलेक्ट्रिक वाहन और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के लिए जरूरी हैं। जिसके पास इन पर नियंत्रण होगा, वह लंबे समय तक वैश्विक टेक्नोलॉजी और सैन्य शक्ति में बढ़त बनाए रख सकेगा।

साल 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद चीन ने देश की सेना को हथियार सप्लाई के जरिए मजबूत किया और म्यांमार के 80% जरूरी खनिजों पर कब्जा जमा लिया। लेकिन अब कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) सहित कई विद्रोही समूहों ने सेना के खिलाफ बढ़त बनाई, जिससे चीन के लिए खनिज निकालना कठिन हो गया।

अमेरिका की रणनीति: ट्रंप प्रशासन ने म्यांमार की सेना से संपर्क बढ़ाए हैं और उन्हें कई तरह की राहतें दी हैं। इसके अलावा उत्तरी थाईलैंड के चियांग माई कांसुलेट के माध्यम से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां तेजी से म्यांमार में सक्रिय हो गई हैं। हालांकि, चीन के प्रभुत्व को कम करना अभी भी आसान नहीं है।

भारत बना पावर प्लेयर: अमेरिका के लिए म्यांमार में पैठ बनाने में भारत की मदद जरूरी है। भारत ने अपनी टेक्नोलॉजी और खनिज प्रोसेसिंग क्षमता को एडवांस किया है। इसका केंद्रबिंदु है नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन 2025, जिसमें विदेशी खदान अधिग्रहण, एडवांस प्रोसेसिंग जोन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट शामिल हैं। भारत की खनिज विदेश लिमिटेड (KABIL) पहले ही अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया में खनिजों की खोज कर रही है।

भारत ने म्यांमार के कचिन राज्य में संभावित सहयोग के लिए GSI और म्यांमार के मंत्रालयों के साथ तेज बातचीत शुरू कर दी है। क्वाड साझेदार ऑस्ट्रेलिया और जापान भी उत्तर-पूर्व भारत को वैकल्पिक प्रोसेसिंग हब बनाने पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में म्यांमार का पड़ोसी होना भारत को जियो-पॉलिटिकल और आर्थिक लाभ दोनों देता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि म्यांमार अगले कुछ वर्षों तक दुनिया के दुर्लभ खनिजों के लिए जंग का अखाड़ा बना रहेगा, और भारत इस जियो-पॉलिटिकल खेल में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा है।

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